अच्छे जजों की नियुक्ति नहीं हो रही, कॉलेजियम सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा: सीनियर वकील दुष्यंत दवे

Shahadat

27 Jan 2024 9:44 AM GMT

  • अच्छे जजों की नियुक्ति नहीं हो रही, कॉलेजियम सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा: सीनियर वकील दुष्यंत दवे

    सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने लाइवलॉ को दिए इंटरव्यू में कॉलेजियम सिस्टम के कामकाज के बारे में कुछ विचारोत्तेजक बयान दिए।

    उन्होंने कहा कि "अच्छे जजों की नियुक्ति नहीं की जा रही है" और "कॉलेजियम सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रही है।" इसे समझाते हुए उन्होंने कहा कि अगर कार्यपालिका कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए प्रस्तावों को नजरअंदाज करती है तो सुप्रीम कोर्ट कोई प्रतिक्रिया नहीं देता।

    हालांकि, सरकार बार-बार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन कर रही है कि कॉलेजियम की पुनरावृत्ति बाध्यकारी है और कॉलेजियम के प्रस्तावों में कोई "पिक एंड चॉइस" नहीं होनी चाहिए, सुप्रीम कोर्ट कुछ नहीं कर रहा है।

    मनु सेबेस्टियन को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा,

    "इसलिए जहां कॉलेजियम सिफारिश करता है कि कार्यपालिका को यह पसंद नहीं है, कॉलेजियम चुपचाप बैठ जाता है... कॉलेजियम के जजों में यह सुनिश्चित करने का साहस नहीं है कि उनके निर्णयों को यथाशीघ्र लागू किया जाए।"

    इस संदर्भ में उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसा प्रतीत होता है कि "कॉलेजियम और कार्यपालिका के बीच कहीं न कहीं कुछ समझौता हुआ है"।

    उल्लेखनीय है कि पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम प्रस्तावों से नामों को चुनिंदा रूप से स्वीकार करने में केंद्र सरकार द्वारा अपनाए गए 'पिक एंड चूज़' दृष्टिकोण पर अस्वीकृति व्यक्त की थी।

    'पिक एंड चूज़' दृष्टिकोण पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए दवे ने गुजरात हाईकोर्ट के चार जजों के ट्रांसफर को अधिसूचित करने में केंद्र सरकार की देरी के हालिया उदाहरण का हवाला दिया।

    उन्होंने कहा,

    “मैंने हमेशा कहा है कि कॉलेजियम सिस्टम विनाशकारी है और बार-बार कॉलेजियम सिस्टम ने खुद को उजागर किया है। उदाहरण के लिए, हाल ही में गुजरात के चार जजों को ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया। उस आदेश को सरकार द्वारा क्रियान्वित नहीं किया जा रहा है।”

    उन्होंने आगे कहा,

    "कॉलेजियम बौद्धिक रूप से बेईमान है। इसके अपने निर्णय, जो बहुत पहले लिए गए, उन्हें लागू नहीं किया जा रहा है, जबकि कुछ को सरकार द्वारा चुनिंदा रूप से लागू किया जा रहा है। कॉलेजियम सिस्टम हाथ पर हाथ रख कर बैठी है। यह गलत है, क्योंकि सरकार अवमानना ​​कर रही है और न्यायपालिका चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और कॉलेजियम के नेतृत्व में सरकार की अवमानना करने का साहस नहीं है।"

    उन्होंने आगे यह भी बताया कि कैसे कॉलेजियम ने एस. मुरलीधर (उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस) और जस्टिस अकील कुरेशी (राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस) जैसे प्रसिद्ध जजों की पदोन्नति को नजरअंदाज किया।

    उन्होंने इस संबंध में कहा,

    “अच्छे जजों की नियुक्ति नहीं की जा रही है। उत्कृष्ट जजों के ऐसे दर्जनों मामले हैं, जिन्हें कॉलेजियम की जानकारी में नजरअंदाज किया गया। मुझे बड़े दुख के साथ कहना होगा कि कॉलेजियम ने इन अच्छे जजों को नष्ट होने दिया।''

    इसके साथ ही दवे ने कहा कि हमारे पास महान जज हैं, लेकिन कई नियुक्तियां वास्तव में संदिग्ध हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पीड़ित संस्था है और राय दी कि इससे अपूरणीय क्षति हो रही है।

    उन्होंने कहा,

    “यह वास्तव में कुछ ऐसा है, जिसने न्यायपालिका की संस्था को बहुत बड़ी क्षति पहुंचाई है। मैं कहूंगा, अपूरणीय क्षति। उसी अक्षमता और कुछ हद तक भ्रष्टाचार के आरोप न्यायपालिका पर लग रहे हैं, जो हमारे लिए अच्छा नहीं है।'

    इंटरव्यू का वीडियो यहां देखें


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