सुप्रीम कोर्ट ने Godhra Train Burning Case में अंतिम सुनवाई के लिए अपील की तिथि तय की
Shahadat
24 April 2025 10:15 AM

सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में लंबित 2018 की अपीलों की अंतिम सुनवाई के लिए 6 और 7 मई को आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि इन तिथियों पर कोई अन्य मामला सूचीबद्ध नहीं होगा।
दोषियों द्वारा अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली और गुजरात राज्य द्वारा दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग करने वाली आपराधिक अपीलें जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गईं। हर बार जब मामला आया है तो इसे विभिन्न कारणों से स्थगित कर दिया गया। पिछली बार कोर्ट ने इस मामले में स्थगन की मांग करने वाले पक्षों पर नाराजगी भी व्यक्त की थी।
मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी, क्योंकि पीठ को दोपहर 1 बजे तक ही बैठना था। इसलिए इसने सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े (दोषियों की एक अपील में पेश हुए) से पूछा कि कोर्ट मामले की सुनवाई कब तक शुरू कर सकता है और इसे कब तक पूरा कर सकता है।
इसके बाद न्यायालय ने 6 और 7 मई को पूरे दिन सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए एक आदेश पारित किया।
पारित कि गए आदेश में कहा गया,
"इस मामले को सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने खोला था और एक कलेक्शन दाखिल किया गया। उक्त के साथ टाइटल-वार सामग्री सत्यापित नहीं है। हालांकि, वह इस कलेक्शन को संशोधित करने और सभी को 3 मई या उससे पहले आपूर्ति करने का वचन देते हैं। आरोपी व्यक्तियों के वकील उक्त संकलन से मार्गदर्शन ले सकते हैं और जिन आरोपियों का वे प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनके संबंध में अपना स्वयं का संकलन तैयार कर सकते हैं। जैसा कि वकील ने कहा, इस मामले की सुनवाई कम से कम दो सप्ताह तक आवश्यक है। पहले हम इस मामले को लगातार 6 और 7 मई को उठाएंगे। हम रजिस्ट्री से अनुरोध करते हैं कि मामले को 6 और 7 मई को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए और उक्त तिथियों पर कोई अन्य मामला सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा। यदि आवश्यक हो तो अन्य मामले माननीय से लिए जा सकते हैं।"
खंडपीठ ने यह भी कहा कि 6 मई को वह तीन जजों की पीठ में बैठेगी। पिछली बार हेज ने तर्क दिया कि चूंकि गुजरात राज्य ने मोहम्मद आरिफ @ अशफाक बनाम द रेग. सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया एंड ऑर्स (2014) के फैसले के अनुसार मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने के खिलाफ अपील दायर की। इसलिए मृत्युदंड से संबंधित मामले की सुनवाई तीन जजों की पीठ को करनी चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013, आदेश VI नियम 3 का भी हवाला दिया।
इस न्यायालय में छूट से संबंधित मामले शामिल हैं। हालांकि, न्यायालय ने पहले स्पष्ट किया कि छूट राज्य द्वारा निर्धारित की जानी है और इन मामलों से जुड़ी नहीं है।
27 फरवरी, 2002 को हुए इस अपराध के परिणामस्वरूप अयोध्या से कारसेवकों (हिंदू स्वयंसेवकों) को ले जा रही साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच के अंदर आग लगने से 58 लोग मारे गए। गोधरा कांड ने गुजरात में सांप्रदायिक दंगों को जन्म दिया।
मार्च, 2011 में ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया, जिनमें से 11 को मौत की सज़ा सुनाई गई। बाकी 20 को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई। 63 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया। 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 की मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया और अन्य 20 को दी गई आजीवन कारावास की सज़ा को बरकरार रखा।
13 मई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों में से एक अब्दुल रहमान धनतिया उर्फ कनकट्टो उर्फ जम्बुरो को इस आधार पर छह महीने के लिए अंतरिम ज़मानत दी कि उसकी पत्नी लाइलाज कैंसर से पीड़ित है और उसकी बेटियां मानसिक रूप से विकलांग हैं। 11 नवंबर, 2022 को कोर्ट ने उसकी ज़मानत अवधि 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दी।
15 दिसंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा कांड मामले में आजीवन कारावास की सज़ा पाए फारूक नामक एक दोषी को ज़मानत दी, यह देखते हुए कि वह 17 साल की सज़ा काट चुका है और उसकी भूमिका ट्रेन पर पथराव से जुड़ी थी।
अप्रैल, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने 8 आजीवन कारावास की सजा पाए दोषियों को जमानत दे दी थी और चार अन्य को जमानत देने से मना कर दिया था। अगस्त, 2023 में सुप्रीम कोर्ट के जजों की पीठ ने सौकत यूसुफ इस्माइल मोहन @ बिबिनो, सिद्दीक @ माटुंगा अब्दुल्ला बादाम-शेख और बिलाल अब्दुल्ला इस्माइल बादाम घांची को उनकी विशिष्ट भूमिकाओं को देखते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया।
केस टाइटल: अब्दुल रहमान धनतिया @ कंकट्टो @ जम्बुरो बनाम गुजरात राज्य, आपराधिक अपील 517/2018 और अन्य।