'पहले नागरिकता हासिल करें, फिर वोटर स्टेटस': SIR के दौरान CAA एप्लीकेंट्स को रोल में शामिल करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
9 Dec 2025 8:48 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को पूछा कि जिन लोगों ने सिटिज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट 2019 (CCA) द्वारा दी गई छूट के आधार पर नागरिकता के लिए अप्लाई किया है, उन्हें उनकी नागरिकता स्टेटस के फाइनल तय होने से पहले प्रोविजनल रूप से वोटर लिस्ट में कैसे शामिल किया जा सकता है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच आत्मदीप नाम के एक NGO की दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद बांग्लादेश से भारत आए और CAA के अनुसार भारतीय नागरिकता के हकदार लोगों को इलेक्टोरल रोल में शामिल करने के निर्देश देने की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कई शरणार्थी द्वारा जमा किए गए आवेदन पर अभी तक प्रोसेस नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट करुणा नंदी ने कहा कि कई लोगों द्वारा दिए गए आवेदन पर अभी तक प्रोसेस नहीं किया गया। उन्होंने तर्क दिया कि नागरिकता के अधिकार आवेदन की तारीख से मिलने चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक आवेदन प्रोसेस होने का इंतज़ार कर रहे हैं, SIR प्रक्रिया उन्हें "नॉक आउट" कर देगा।
हालांकि, बेंच ने पूछा कि कोर्ट उन्हें राहत कैसे दे सकता है, जब सक्षम अथॉरिटी ने अभी तक उनकी नागरिकता पर फैसला नहीं लिया है।
सीजेआई कांत ने कहा,
"आपको अभी तक नागरिकता नहीं दी गई। बदले हुए कानून ने आपको नागरिकता लेने के कुछ अधिकार दिए होंगे। लेकिन उस एक्ट के तहत हर दावे को तय करना होगा - चाहे आप खास माइनॉरिटी से हों, चाहे आप खास देशों से हों, चाहे आप भारत में हों...भारत सरकार ने यह तय करने के लिए कुछ अथॉरिटी तय की है। जब तक उन दावों को तय नहीं किया जाता, आप गाड़ी को घोड़े से आगे नहीं लगा सकते।"
जस्टिस बागची ने कहा,
"पहले आप अपनी नागरिकता हासिल करते हैं, फिर वोटर लिस्ट में एंट्री होती है।"
नंदी ने कहा कि एक टाइमलाइन होनी चाहिए, जिसके अंदर फैसला लेना होता है। उन्होंने बासुदेव दत्ता बनाम पश्चिम बंगाल राज्य के निर्देश का ज़िक्र किया, जहां कोर्ट ने सरकारी नियुक्तियों से पहले पुलिस वेरिफिकेशन पूरा करने के लिए 6 महीने की टाइमलाइन तय की थी और CAA एप्लीकेंट्स के लिए भी ऐसी ही टाइमलाइन मांगी।
बेंच ने बताया कि याचिकाकर्ता एक NGO है और कोई भी एप्लीकेंट खुद आगे नहीं आया। बेंच ने कहा कि ज़्यादा से ज़्यादा, वह सिर्फ़ क्लेम तय करने में मदद कर सकती है।
सीजेआई कांत ने कहा,
"हम सिर्फ़ आपके स्टेटस का तय करने में मदद कर सकते हैं; इससे ज़्यादा हम कुछ नहीं कर सकते।"
नंदी ने कहा कि ऐसा निर्देश एप्लीकेंट्स के लिए भी फायदेमंद होगा। उन्होंने प्राकृतिक आवेदन के लिए तय टाइमलाइन के अंदर आवेदन को निपटाने का निर्देश मांगा।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज तक मिले आवेदन फरवरी 2026 से पहले निपटाए जाएं। हालांकि, बेंच ने ऐसी टाइमलाइन बताने में हिचकिचाहट दिखाई।
सीजेआई कांत ने कहा,
"हम ऐसा नहीं कर पाएंगे।"
ECI की ओर से सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा कि CAA आवेदन पर फैसला यूनियन ऑफ़ इंडिया को लेना है।
द्विवेदी ने कहा,
"नागरिकता में हमारी कोई भूमिका नहीं है।"
बेंच ने आखिरकार अटॉर्नी जनरल के ऑफिस के ज़रिए यूनियन ऑफ़ इंडिया को नोटिस जारी किया। बेंच ने याचिकाकर्ता से याचिका की एक कॉपी सॉलिसिटर जनरल को देने को भी कहा।
मामले की सुनवाई अगले हफ़्ते होगी।
Case Details : AATMADEEP vs. THE UNION OF INDIA| SLP(C) No. 034474 - / 2025

