पटाखों पर दिल्ली-NCR जैसी पाबंदी अब पूरे देश में लागू होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
Praveen Mishra
12 Sept 2025 4:48 PM IST

कोर्ट ने आज पूरे देश में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता पर मौखिक टिप्पणी की, यह कहते हुए कि स्वच्छ और प्रदूषण-मुक्त हवा का अधिकार केवल दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले नागरिकों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लोगों के लिए है।
चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ एम.सी. मेहता केस की सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में पटाखों और पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाया गया है।
पहले जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत एनसीआर में पटाखों पर पूरी तरह से रोक लगाने का निर्देश दिया था।
आज सुनवाई के दौरान बताया गया कि कोर्ट के आदेशों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। अमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट के. परमेेश्वर ने कहा कि अक्टूबर से फरवरी तक के लिए प्रतिबंध उचित होता, लेकिन निर्माण, व्यापार और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध कई लोगों की आजीविका पर असर डालता है।
इस पर CJI ने कहा कि यह मान लेना गलत होगा कि प्रदूषण-मुक्त हवा का अधिकार सिर्फ एनसीआर के नागरिकों का है।
उन्होंने कहा, "अगर एनसीआर के नागरिकों को प्रदूषण-मुक्त हवा का अधिकार है, तो देश के अन्य हिस्सों में रहने वालों को क्यों नहीं? सिर्फ इसलिए कि यह राजधानी है या सुप्रीम कोर्ट यहां है, दिल्ली के नागरिकों को ही प्रदूषण-मुक्त हवा मिले और बाकी देशवासियों को नहीं?"
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के दौरान प्रदूषण असहनीय हो जाता है। उन्होंने कहा, "हम सचमुच घुटन महसूस करते हैं, सर्दियों में रहना असंभव हो जाता है।"
CJI ने कहा कि पंजाब जैसे राज्यों में भी स्थिति उतनी ही गंभीर है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, "पिछली सर्दियों में मैं अमृतसर में था, वहां बताया गया कि पंजाब का वायु प्रदूषण दिल्ली से भी ज्यादा खराब है… इसलिए नीति पूरे देश के लिए होनी चाहिए। दिल्ली को सिर्फ इसलिए विशेष छूट नहीं मिल सकती कि यहां 'एलीट नागरिक' रहते हैं।"
ASG ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदूषण की समस्या 'एलीट' नहीं है, क्योंकि दीवाली पर अमीर लोग दिल्ली छोड़ देते हैं, लेकिन असली पीड़ित गरीब और मजदूर होते हैं जिनके पास एयर प्यूरीफायर जैसी सुविधाएं नहीं होतीं।
कोर्ट ने ASG को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर रिपोर्ट लेने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को तय की।

