COVID 19 के दौरान वकीलों को वित्तीय सहायता : सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाएं खुद को ट्रांसफर की

LiveLaw News Network

2 Nov 2020 12:00 PM GMT

  • COVID 19 के दौरान वकीलों को वित्तीय सहायता : सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाएं खुद को ट्रांसफर की

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित COVID-19 स्थिति के आधार पर अधिवक्ताओं को वित्तीय सहायता देने की मांग वाली याचिकाएं खुद को स्थानांतरित कर दी।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की खंडपीठ ने इस संदर्भ में आदेश पारित किया।

    सोमवार को कार्यवाही में इस बात को लेकर भ्रम था कि इस मामले पर मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका को खारिज किया गया था या नहीं।

    मद्रास हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एजी चेलिया ने पीठ को बताया कि इस मामले का निपटारा हाईकोर्ट ने पिछले जुलाई में किया था। हालांकि, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने इस दावे पर विवाद किया और कहा कि मामला अभी भी उच्च न्यायालय में लंबित है।

    सीजेआई के नेतृत्व वाली पीठ ने आखिरकार मद्रास हाईकोर्ट मामले को स्थानांतरित करने का आदेश दिया। जब डॉ. चेलिया ने विरोध किया तो सीजेआई ने कहा कि जब हाईकोर्ट अपनी ऑफिस रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा तो मामले की स्थिति स्पष्ट होगी।

    सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को COVID-19 महामारी के कारण वकीलों को पेश आ रही वित्तीय कठिनाइयों का स्वत: संज्ञान लिया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक बेंच बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश सरकारों को महामारी के चलते मुकदमेबाजी के घटते कार्य के कारण हुए नुकसान पर वकीलों की वित्तीय सहायता के लिए दिशा-निर्देश मांगे गए हैं।

    कुछ हफ्ते पहले, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें वकीलों को 3 लाख रुपये तक के ब्याज मुक्त ऋण जैसे उपायों के लिए वित्तीय सहायता की मांग की गई थी।

    28 सितंबर को इस मामले पर विचार करते समय, भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े ने मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि जिन अधिवक्ताओं की आय पहले नहीं थी, उनके लिए महामारी "वरदान" नहीं होनी चाहिए।

    CJI ने टिप्पणी की थी कि

    "कोई ऐसा वकील, जिसके पास महामारी से पहले भी कोई आय नहीं थी, तो क्या आप उसे एक राशि देना चाहेंगे ताकि वह अब पैसा कमाना शुरू कर दे और यह आय का स्रोत बन जाए? आपको सावधान रहना होगा ... महामारी वरदान नहीं बन सकती?।"

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