कोविड से मौत- मृतकों के परिजनों को जरूरत पड़ने पर अस्पताल तमाम दस्तावेज मुहैया कराएंगे: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

5 Oct 2021 4:49 AM GMT

  • कोविड से मौत- मृतकों के परिजनों को जरूरत पड़ने पर अस्पताल तमाम दस्तावेज मुहैया कराएंगे: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन सभी अस्पतालों, जो कोविड ​​​​रोगियों को इलाज प्रदान करते हैं, उन्हें निर्देश दिया की मांग किए जाने पर महामारी से मरने वालों के परिवार के सदस्यों को इलाज आदि के सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएं।

    कोविड पीड़ितों के परिवारों को प्रदान की जा रही अनुग्रह राशि प्राप्त करने में परिजनों को सक्षम करने के लिए मृत्यु के कारण के रूप में कोविड को स्थापित करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों के संबंध में ये अवलोकन किए गए हैं।

    न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई अस्पताल या वह स्थान जहां मृतक का इलाज चला था, ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत करने से इनकार करता है, तो शिकायत निवारण समिति ऐसी जानकारी और विवरण मांग सकती है जो इसे स्थापित करने के उद्देश्य से आवश्यक है कि मौत कोविड -19 के कारण हुई थी,और उन्हें इसे प्रस्तुत करना होगा।

    कोविड पीड़ितों के परिवारों को अनुग्रह मुआवजे के वितरण के संबंध में अदालत के निर्देश को पूरा करने के लिए राज्यों द्वारा शिकायत निवारण समिति का गठन करने का निर्देश दिया गया है।

    बेंच ने निर्देश दिया है कि कोविड-19 के कारण मरने वाले मृतक के परिजनों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाएगा, जो न्यूनतम है और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा दिए जा रहे मुआवजा/राशि से अधिक होगी और इसका भुगतान किया जाएगा।

    राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष से भुगतान की जाएगा अनुग्रह राशि

    यह निर्देश दिया गया है कि राज्यों द्वारा राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से अनुग्रह सहायता प्रदान की जाएगी और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण या जिला प्रशासन द्वारा ये वितरित की जाएगी। ऐसे प्राधिकरण का पूरा विवरण और पता प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित किया जाएगा।

    आवेदन से 30 दिनों के भीतर राशि वितरित की जाए:

    कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जिला प्रशासन द्वारा मृ्त्यु प्रमाण पत्र और उसमें "कोविड -19 के कारण मृत्यु" के रूप में प्रमाणित करने समेत आवेदन जमा करने की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर अनुग्रह सहायता वितरित की जाएगी।

    पीठ ने स्पष्ट किया है कि मृत्यु के कारण को कोविड -19 मृत्यु के रूप में प्रमाणित करने के लिए, मृत्यु प्रमाण पत्र निर्णायक नहीं होगा और यदि कुछ अन्य दस्तावेज प्रदान किए जाते हैं तो मृतक का परिवार अनुग्रह सहायता का हकदार होगा।

    केवल मृत्यु के कारण के आधार पर अनुग्रह मुआवजे से इनकार नहीं किया जा सकता है, जिसका उल्लेख 'कोविड के कारण मृत्यु' के रूप में नहीं किया गया है: कोर्ट ने कहा है कि कोई भी राज्य मृतक के परिजनों को 50,000 रुपये की अनुग्रह सहायता से इनकार नहीं करेगा, केवल इस आधार पर कि उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्र में मृत्यु का कारण "कोविड -19 के कारण मृत्यु" के रूप में उल्लेखित नहीं है।

    मृत्यु प्रमाण पत्र से संबंधित शिकायतों को दूर करने के लिए जिला स्तरीय समितियां:

    न्यायालय ने पाया है कि मृत्यु के प्रमाणीकरण के संबंध में किसी भी शिकायत के मामले में, पीड़ित व्यक्ति जिला स्तर पर शिकायत निवारण समिति से संपर्क कर सकता है जिसमें अतिरिक्त जिला कलेक्टर, स्वास्थ्य के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, एक मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त सीएमओएच / प्रिंसिपल या एचओडी मेडिसिन (यदि जिले में मौजूद है) और एक विषय विशेषज्ञ शामिल होंगे।

    समिति आवश्यक दस्तावेजों के प्रस्तुत करने पर तथ्यों का सत्यापन करने के बाद कोविड -19 की मृत्यु के लिए संशोधित आधिकारिक दस्तावेज जारी करने सहित उपचारात्मक उपाय करेगी, जिसमें यह दर्शाया गया हो कि मृत्यु कोविड -19 के कारण हुई है।

    यदि समिति का निर्णय दावेदार के पक्ष में नहीं है, तो इसका स्पष्ट कारण दर्ज करना होगा।

    मृत्यु के प्रमाणीकरण के लिए दिशा-निर्देश:

    बेंच के अनुसार, कोविड के कारण मृत्यु पर विचार करने के उद्देश्य से, कोविड -19 मामलों में वे शामिल होंगे जिनका निदान एक सकारात्मक आरटी-पीसीआर / मॉलिक्यूलर टेस्ट / आरएटी के माध्यम से किया गया हो या किसी अस्पताल या इन- पेशंट सुविधा में भर्ती होने पर एक चिकित्सक द्वारा जांच के माध्यम से चिकित्सकीय रूप से निर्धारित किया गया हो।

    परीक्षण की तारीख से 30 दिनों के भीतर या कोविड -19 मामले के रूप में चिकित्सकीय रूप से निर्धारित होने की तारीख से होने वाली मौतों के संबंध में, बेंच ने माना है कि उन्हें "कोविड -19 के कारण होने वाली मौतों" के रूप में माना जाएगा, यहां तक ​​​​कि यदि मृत्यु अस्पताल/इन-पेशेंट सुविधा के बाहर होती है।

    इसके अलावा, कोविड -19 मामले जो हल नहीं हुए हैं और या तो अस्पताल में या घर पर मौत हुई है और जहां पंजीकरण प्राधिकारी को मृत्यु के कारण का चिकित्सा प्रमाण पत्र (एमसीसीडी) जारी किया गया है, उन्हें भी कोविड -19 मृत्यु माना जाएगा।

    पीठ ने स्पष्ट किया है कि मृत्यु प्रमाण पत्र में उल्लिखित मृत्यु के कारण के बावजूद, यदि परिवार का कोई सदस्य न्यायालय द्वारा निर्देशित पात्रता मानदंड को पूरा करता है, तो वह भी आवश्यक दस्तावेजों के पेश करने पर अनुग्रह भुगतान का हकदार होगा। इसलिए कोई भी राज्य 50,000/- रुपये के अनुग्रह भुगतान से इस आधार पर इनकार नहीं कर सकता है कि मृत्यु प्रमाण पत्र में मृत्यु का कारण "कोविड -19 के कारण मृत्यु" का उल्लेख नहीं है।

    एनडीएमए ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा रीपक कंसल और गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर जनहित याचिकाओं में 30 जून के फैसले में जारी निर्देशों का पालन करते हुए कोविड ​​​​मौतों के लिए मुआवजे के अनुदान के लिए दिशानिर्देश तैयार किए।

    बाद में, गौरव कुमार बंसल ने एक आवेदन दायर कर निर्देशों को लागू करने की मांग की। उसके बाद, एनडीएमए ने दिशानिर्देश तैयार किए, जिसमें कोविड ​​से मरने के रूप में प्रमाणित व्यक्तियों के रिश्तेदारों को 50,000 रुपये के अनुग्रह मुआवजे की सिफारिश की, जिसका भुगतान राज्यों द्वारा राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष से किया जाना है।

    केस: गौरव कुमार बंसल बनाम भारत संघ | एमए 1120/2021 डब्ल्यू पी (सी) संख्या 539/202

    उद्धरण: LL 2021 SC 536

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