दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब होने का इंतजार न करें, वैज्ञानिक मॉडल के आधार पर अग्रिम उपाय करें : सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
24 Nov 2021 12:29 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि दिल्ली के वायु गुणवत्ता संकट के संबंध में विभिन्न मौसमों में हवा के पैटर्न के अनुमान और वायु प्रदूषण के स्तर के आधार पर तैयार वैज्ञानिक मॉडल के आधार पर अग्रिम उपाय किए जाने चाहिए।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आपातकालीन कदम उठाने की मांग करने वाले एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण संकट से निपटने के लिए पिछले साल बनाए गए एक वैधानिक निकाय "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग" को वैज्ञानिक डेटा और सांख्यिकीय मॉडल के आधार पर अग्रिम उपाय करने चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक आज सुबह 290 था, जो पिछले सप्ताह के 403 के महत्वपूर्ण आंकड़े से बेहतर है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है और इसे देखते हुए 22 नवंबर से निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध हटा दिया गया है। सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को 21 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की बैठक में लिए गए निर्णयों के बारे में पीठ को अवगत कराया।।
जब सॉलिसटर जनरल आयोग द्वारा अपनाए गए अन्य उपायों को पढ़ रहे थे, तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, "ये सभी तदर्थ उपाय हैं। आयोग को सांख्यिकीय मॉडल के साथ एक वैज्ञानिक अध्ययन करना चाहिए। आपके पास अगले सात दिनों की हवा का पैटर्न है। आपको हवा की दिशा के अनुरूप उपाय करने होंगे। आपको कौन से कदम उठाने होंगे, और अगले सात दिनों के लिए उन कदमों का क्या प्रभाव होगा? किसी को वह अध्ययन करना होगा। यह विज्ञान आधारित होना चाहिए।"
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आयोग का कहना है कि मौसम की स्थिति गंभीर होने पर आपातकालीन उपाय किए जाएंगे। इसके बजाय, आयोग को मौसम की स्थिति का अनुमान लगाना चाहिए और पहले से उचित उपाय करने चाहिए।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा,
"जब मौसम खराब हो जाता है तब हम उपाय करते हैं। ये उपाय अनुमान के आधार पर किए जाने चाहिए। आपको यह अनुमान लगाने की आवश्यकता है कि हवा के पैटर्न के साथ मौसम खराब होने जा रहा है। इन उपायों को अनुमाान के आधार पर पनाने की आवश्यकता है। यह दिल्ली के लिए सांख्यिकीय मॉडल के आधार पर हो सकता है।"
सॉलिसिटर जनरल ने इस सुझाव पर सहमति जताई। उन्होंने कहा, "मैं स्वीकार करता हूं। हमें चीजों के गंभीर होने का इंतजार नहीं करना चाहिए।"
सीजेआई ने कहा कि हवा की गुणवत्ता में सुधार मुख्य रूप से पिछले कुछ दिनों में हवा की गति में कमी के कारण हुआ है। उन्होंने कहा, "बहुत सी उम्मीदें थीं कि सरकार कुछ करेगी। लेकिन कमी का प्रमुख कारण हवा है।"
सीजेआई ने कहा कि पीठ मामले का निपटारा नहीं कर रही है और स्थिति की निगरानी जारी रखेगी। उन्होंने बताया कि इस समय एक्यूआई 318 है।
उन्होंने एसजी से कहा, "आप 290 कह रहे हैं, हमने जांच की कि यह इस समय 318 है। शायद इन दो दिनों को छोड़कर कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं है। लेकिन यह फिर से गंभीर हो सकता है। हमने जो निर्देश दिया है, वो उपाय करें। सोमवार सुबह हम मामले को उठाएंगे। अगर स्तर 200 या कुछ और नीचे आता है तो आप प्रतिबंध हटा सकते हैं।"
सीजेआई ने यह भी कहा कि राज्यों को अपने पास पड़े "हजारों करोड़" का उपयोग निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए श्रम उपकर एकत्र करने के लिए करना चाहिए ताकि गतिविधियों पर प्रतिबंध लगने पर उन्हें जीवन निर्वाह प्रदान किया जा सके।
उन्होंने पराली जलाने की समस्या के समाधान में नौकरशाही की उदासीनता के बारे में अपनी पिछली टिप्पणियों को भी दोहराया।
उन्होंने कहा, "हम मुद्दों पर चर्चा के लिए सामान्य ज्ञान का उपयोग कर रहे हैं। केंद्र और राज्य की नौकरशाही क्या कर रही है? वे खेतों में क्यों नहीं जा सकते, किसानों और वैज्ञानिकों से बात नहीं कर सकते और पराली जलाने से रोकने के लिए स्थायी समाधान नहीं निकाल सकते।"
सुनवाई में याचिकाकर्ता आदित्य दुबे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह पेश हुए। उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव को देखते हुए पराली जलाने पर किसानों पर जुर्माना नहीं लगाया जा रहा है।
अंतत: पीठ ने केंद्र, दिल्ली-एनसीआर राज्य और केंद्रीय आयोग से स्थिति से निपटने के लिए उचित निर्णय लेने को कहते हुए सुनवाई अगले सोमवार, 29 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी। एसजी ने पीठ को बताया कि केंद्रीय आयोग स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है।
केस शीर्षक: आदित्य दुबे (नाबालिग) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य | WP(c) No 1135 Of 2020