सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से किया इनकार

Shahadat

1 May 2025 1:58 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से किया इनकार

    सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन के निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें 27 लोग (ज्यादातर पर्यटक) मारे गए।

    ऐसा करते हुए कोर्ट ने स्थिति की संवेदनशीलता के बावजूद "गैर-जिम्मेदाराना याचिका" दायर करने के लिए याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई और सुरक्षा बलों पर पड़ने वाले "मनोबल को गिराने वाले" प्रभाव को रेखांकित किया।

    जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की,

    "ऐसी जनहित याचिका दायर करने से पहले जिम्मेदार बनें। देश के प्रति भी आपका कुछ कर्तव्य है। इस संकट और मोड़ पर आप इस तरह से बलों का मनोबल गिराने की कोशिश कर रहे हैं? आप सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज से जांच करने के लिए कह रहे हैं। रिटायर हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जज कब से जांच में विशेषज्ञ हो गए हैं? हमें बताएं, हमें जांच की इस विशेषज्ञता की कब से आवश्यकता है? हम केवल विवादों का फैसला करते हैं। हमें आदेश पारित करने के लिए न कहें।"

    जज ने आगे कहा,

    "यह समय नहीं है। यह वह निर्णायक समय है, जब इस देश के प्रत्येक नागरिक ने इस आतंकवाद से लड़ने के लिए हाथ मिलाया है। ऐसी कोई प्रार्थना न करें जिससे हमारी सेना का मनोबल गिरे...यह हमें स्वीकार्य नहीं है। मामले की संवेदनशीलता को देखें।"

    याचिकाकर्ताओं में से एक (व्यक्तिगत रूप से उपस्थित) के अनुरोध पर जस्टिस कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने याचिका वापस लेने की अनुमति दी। साथ ही यूटी से बाहर पढ़ रहे जम्मू-कश्मीर के स्टूडेंट के मामले में हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी, यदि कोई हो।

    यह उल्लेख करना उचित है कि जब पीठ ने याचिका में की गई प्रार्थनाओं पर नाराजगी व्यक्त की तो याचिकाकर्ताओं की ओर से यह प्रस्तुत किया गया कि वे सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों से पूरी तरह संतुष्ट हैं। याचिकाकर्ताओं में से एक ने प्रार्थना वापस लेने की मांग की, लेकिन अनुरोध किया कि न्यायालय यूटी से बाहर पढ़ रहे जम्मू-कश्मीर के स्टूडेंट (जो कथित तौर पर हमले के बाद से उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं) से संबंधित मुद्दे पर विचार करे।

    कश्मीरी स्थानीय निवासी जुनैद मोहम्मद जुनैद और दो वकीलों-फतेश कुमार साहू और विक्की कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका, 22 अप्रैल को पहलगाम (जम्मू और कश्मीर) के बैसरन घाटी में हुए हमले के मद्देनजर आई, जहां आतंकवादियों ने पर्यटकों पर गोलीबारी की और 26 लोगों की जान ले ली।

    इसमें जम्मू और कश्मीर जैसे संघर्ष वाले क्षेत्रों में पर्यटक स्थलों के लिए न्यूनतम सुरक्षा मानकों की मांग की गई। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के पर्यटक क्षेत्रों में लोगों की सुरक्षा के लिए, याचिकाकर्ताओं ने प्रार्थना की कि केंद्र, जम्मू और कश्मीर प्रशासन, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा एक कार्य योजना तैयार की जाए।

    समाज में शांति बनाए रखने के लिए हमले के संबंध में केवल "निष्पक्ष और सच्ची" रिपोर्टिंग की अनुमति देने के लिए भारतीय प्रेस परिषद को निर्देश देने की भी मांग की गई।

    सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्ण पीठ ने पहले पहलगाम हमले की निंदा करते हुए इसे "मानवता के मूल्यों का अपमान" बताया था।

    फुल कोर्ट के प्रस्ताव में कहा गया,

    "इस मूर्खतापूर्ण हिंसा के शैतानी कृत्य ने सभी की अंतरात्मा को झकझोर दिया और यह आतंकवाद द्वारा फैलाई जाने वाली क्रूरता और अमानवीयता की एक कठोर याद दिलाता है।"

    सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन ने भी हमले की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया।

    केस टाइटल: फतेह कुमार साहू और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य, डायरी नंबर 22548-2025

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