BREAKING| भविष्य में पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी न दें केंद्र: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा; पिछली अधिसूचनाएं रद्द कीं
Shahadat
16 May 2025 11:11 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (16 मई) को केंद्र सरकार को भविष्य में "पूर्वव्यापी" पर्यावरणीय मंजूरी (EC) देने से रोक दिया और पिछले कार्यालय ज्ञापन और अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया, जो खनन परियोजनाओं के लिए पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी देने की अनुमति देते थे।
इसका मतलब है कि अनिवार्य पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त किए बिना शुरू की गई परियोजनाओं को भविष्य में EC देकर नियमित नहीं किया जा सकता।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की खंडपीठ ने फैसला सुनाया।
जस्टिस ओक ने इस प्रकार से ऑपरेटिव भाग पढ़ा:
"पूर्व EC प्राप्त किए बिना घोर अवैधानिक कार्य करने वालों के पक्ष में कोई समानता नहीं है। EC के बिना कार्य करने वाले व्यक्ति अशिक्षित व्यक्ति नहीं थे। वे कंपनियां, रियल एस्टेट डेवलपर्स, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, खनन उद्योग आदि हैं। वे वे व्यक्ति है, जिन्होंने जानबूझकर अवैधानिक कार्य किए। इसलिए हम यह स्पष्ट करते हैं कि इसके बाद केंद्र सरकार 2017 की अधिसूचना का कोई भी संस्करण जारी नहीं करेगी, जिसमें पूर्वव्यापी EC प्रदान करने का प्रावधान है। हमने 2021 के ओएम को भी अलग रखा है। हम मानते हैं कि 2017 की अधिसूचना और 2021 के ओएम के साथ-साथ इन अधिसूचनाओं को प्रभावी करने के लिए जारी किए गए सभी सर्कुलर, आदेश और अधिसूचनाएं अवैध हैं। इसके द्वारा रद्द की जाती हैं। हम केंद्र सरकार को किसी भी रूप या तरीके से पूर्वव्यापी EC प्रदान करने के लिए सर्कुलर, आदेश, अधिसूचना, ओएम जारी करने से रोकते हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि 2017 की अधिसूचना और 2021 के तहत पहले से दी गई EC ओएम अप्रभावित रहेगा।"
जुलाई, 2021 और जनवरी, 2022 में केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए दो कार्यालय ज्ञापनों में पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना, 2006 के तहत अनिवार्य पूर्व मंजूरी प्राप्त किए बिना परिचालन शुरू करने वाली खनन और अन्य परियोजनाओं के लिए पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी की अनुमति दी गई।
याचिकाओं का यह समूह NGO वनशक्ति और अन्य द्वारा दायर किया गया। याचिकाकर्ताओं ने पर्यावरणीय मंजूरी के बिना शुरू की गई परियोजनाओं को नियमित करने के लिए दो सरकारी ज्ञापनों में उल्लिखित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) की वैधता को चुनौती दी।
केस टाइटल- वनशक्ति बनाम भारत संघ और संबंधित मामले।

