'अतीत में जाओ, न्यायपालिका के प्रति संवेदनशील रहो': जस्टिस रमना पर टिप्पणी को लेकर आंध्र के पूर्व सीएम जगन के खिलाफ जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

2 Dec 2024 6:52 PM IST

  • अतीत में जाओ, न्यायपालिका के प्रति संवेदनशील रहो: जस्टिस रमना पर टिप्पणी को लेकर आंध्र के पूर्व सीएम जगन के खिलाफ जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट

    पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एनवी रमना के खिलाफ अनुचित व्यवहार के आरोपों को लेकर आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि लोगों को कम से कम न्यायपालिका के प्रति तो संवेदनशील होना चाहिए।

    यह मामला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध था, जिसने अंतरिम आवेदन का निपटारा किया, क्योंकि यह निष्फल हो गया।

    मुख्य मामले के संदर्भ में जस्टिस कांत ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा,

    "आपको यह सलाह किसने दी कि आप बेवजह ये सब [चीजें] उछालें... न्यायपालिका के बारे में अतीत मत खोदो, आप लोगों को कम से कम संवेदनशील तो रहना चाहिए।"

    वकील ने जब जवाब दिया कि मामला अक्टूबर, 2020 में ही दायर किया गया और चीजों को "खोजने" का कोई प्रयास नहीं किया गया तो पीठ ने मामले को जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया।

    संक्षेप में मामला

    याचिकाकर्ता-सुनील कुमार सिंह ने वर्तमान जनहित याचिका की शुरुआत करते हुए दावा किया कि एक मौजूदा राज्य के मुख्यमंत्री (रेड्डी) द्वारा सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा जज (जस्टिस रमना) के खिलाफ निराधार आरोप लगाना अनुचित था।

    उन्होंने दावा किया कि 6 अक्टूबर, 2020 को रेड्डी द्वारा तत्कालीन सीजेआई बोबडे को आरोपों वाला एक पत्र लिखा गया। चार दिन बाद रेड्डी के प्रमुख सलाहकार द्वारा संबोधित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्र प्रसारित किया गया और 11 अक्टूबर को इसे सभी अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा के समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया।

    विवादास्पद पत्र में रेड्डी ने आरोप लगाया कि जस्टिस रमना तेलुगु देशम पार्टी के सुप्रीमो-एन चंद्रबाबू नायडू (तत्कालीन आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम और रेड्डी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी) के हितों की रक्षा के लिए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की बैठकों, जिसमें इसके कुछ जजों की रोस्टर भी शामिल है, उसको "प्रभावित" कर रहे थे।

    जस्टिस रमना पर अन्य बातों के अलावा,

    "आंध्र प्रदेश राज्य की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने और गिराने" का प्रयास करने के आरोप लगाए गए, जो बाद में 48वें सीजेआई बने।

    रेड्डी के इस अभूतपूर्व कदम ने आम जनता के साथ-साथ कानूनी बिरादरी को भी चौंका दिया, देश भर के अधिवक्ता संघों ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की। बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई आंतरिक जांच ने जस्टिस रमना को क्लीन चिट दी, जिसमें रेड्डी द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया गया।

    केस टाइटल: सुनील कुमार सिंह बनाम वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी, डब्ल्यू.पी. (सी) नंबर 1192/2020

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