विभागीय जांच में बरी होने से आपराधिक मुकदमे में स्वतः राहत नहीं मिलती: सुप्रीम कोर्ट
Praveen Mishra
28 Nov 2025 6:40 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विभागीय कार्यवाही में बरी होना अपने-आप आपराधिक मामले में छुटकारा दिलाने का आधार नहीं बन सकता। कोर्ट ने समझाया कि विभागीय जांच में गवाह आसानी से मुकर जाते हैं क्योंकि वहाँ शपथ पर बयान नहीं होता और झूठी गवाही (परजरी) का खतरा नहीं होता।
लेकिन आपराधिक मुकदमे में गवाह शपथ पर बयान देते हैं और झूठ बोलने पर उनके खिलाफ परजरी की कार्रवाई हो सकती है, इसलिए उनके hostile होने की संभावना कम होती है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खदपीठ यह ट्रैप केस (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) में सुनवाई करते हुए कहा कि—
“विभागीय कार्यवाही में बरी होना आपराधिक मामले में स्वतः डिस्चार्ज का आधार नहीं बन सकता।”
अदालत ने स्पष्ट किया कि विभागीय गवाहों के मुकर जाने के बावजूद आपराधिक मुकदमे में दोष सिद्धि संभव है, इसलिए दोनों कार्यवाहियां स्वतंत्र रूप से देखेंगी।

