दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री के साथ विदेश यात्राओं में शामिल व्यक्तियों की जानकारी देने के सूचना आयोग के आदेश पर रोक लगाई

LiveLaw News Network

11 Dec 2020 7:12 AM GMT

  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री के साथ विदेश यात्राओं में शामिल व्यक्तियों की जानकारी देने के सूचना आयोग के आदेश पर रोक लगाई

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के एक आदेश के संचालन पर रोक लगा दी। केंद्रीय सूचना आयोग ने भारतीय वायु सेना को निर्देश दिया था कि वह प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं में शामिल व्यक्तियों से संबंध‌ित जानकारियां सूचना के अधिकार के तहत जारी करे।

    वायुसेना की ओर से सीआईसी के निर्देश के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश पारित किया।

    जस्टिस नवीन चावला की एकल पीठ ने 8 जुलाई, 2020 के आदेश के खिलाफ दायर वायुसेना की याचिका पर उन्हें अंतरिम स्‍थगन प्रदान किया। सूचना आयोग ने सीपीआईओ, कार्मिक सेवा निदेशालय, वायु मुख्यालय, भारतीय वायु सेना को आरटीआई आवेदनकर्ता कॉमोडोर लोकेश बत्रा (सेवानिवृत्त) को प्रधानमंत्री की स्पेशल फ्लाइट रिटर्न- II के विवरण देने का निर्देश दिया था।

    जस्टिस चावला ने कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत, सीपीआईओ उड़ान में प्रधानमंत्री के साथ यात्रा कर रहे यात्रियों की संख्या से अधिक कुछ भी नहीं दे सकता है। हालांकि, सीपीआईओ ने इस पर भी विवाद किया था।

    सीपीआईओ ने दलील दी कि स्पेशल फ्लाइट रिटर्न- II भारत के प्रधानमंत्री के सुरक्षा तंत्र के कामकाज के आधिकारिक रिकॉर्ड से संबंधित है, जिसे सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक परिध‌ि में नहीं लाया जा सकता है।

    याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई, "मांगी गई जानकारी में पूरी यात्रा के विवरण, विदेशी दौरों पर माननीय प्रधानमंत्री की निजी सुरक्षा में शामिल स्पेशल प्रोटेक्‍शन ग्रुप (एसपीजी) के कर्मियों के नाम शामिल हैं, और यदि इनका खुलासा किया गया, तो यह संभावित रूप से भारत की संप्रभुता, अखंडता, राज्य की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक और आर्थिक हितों को प्रभावित कर सकता है।"

    सूचना आयोग का आदेश

    सूचना आयोग ने आदेश में कहा था, "आयोग, सीपीआईओ को उपलब्ध और प्रासंगिक SFR II की प्रमाणित प्रतियां, जैसा कि आरटीआई आवेदनकर्ता ने मांगा है, जानकारी में मौजूद सुरक्षा/ एसपीजी कार्मिकों के नाम और अन्य प्रासंगिक पहचान विवरण की सेवा के बाद, प्रदान करने का निर्देश देता है। आरटीआई अधिनियम की धारा 10 के प्रावधानों के अनुरूप रिकॉर्ड के विच्छेद का पालन किया जाना है। उक्त जानकारी इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से 15 दिनों के भीतर अपीलार्थी को निःशुल्क प्रदान की जाएगी और इस आशय की अनुपालन रिपोर्ट सीपीआईओ द्वारा विधिवत आयोग को भेजी जाएगी।"

    कमोडोर बत्रा (सेवानिवृत्त) ने बताया था कि भले ही सीआईसी ने याचिकाकर्ता को 4 दिनों के भीतर विवरण प्रदान करने का निर्देश दिया था, लेकिन 4 महीने हो गए और ऐसा कोई विवरण प्रदान नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें सितंबर की शुरुआत तक नहीं बताया गया था कि सीपीआई, आईएएफ ने सीआईसी के आदेश को चुनौती दी है।

    कमोडोर बत्रा ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया है कि इस तरह की जानकारी का पारंपरिक रूप से खुलासा किया गया था और न केवल आध‌िकारिक बल्कि निजी व्यक्ति भी प्रधानमंत्री के साथ यात्रा कर सकते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सभी को आरटीआई अधिनियम के तहत प्रकटीकरण से छूट नहीं दी जाएगी।

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