दिल्ली सरकार बनाम एलजी: सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एलजी की ओर से डीईआरसी चेयरपर्सन के लिए नामित व्यक्ति का शपथ ग्रहण टाला, नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई होगी
Avanish Pathak
4 July 2023 12:24 PM IST
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के कारण मंगलवार को दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के अध्यक्ष के रूप में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस उमेश कुमार के शपथ ग्रहण को स्थगित कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कुमार के नियुक्ति के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) ने एक याचिका दायर की है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। दिल्ली सरकार ने इस आधार पर नियुक्ति को चुनौती दी कि एलजी ने यह नियुक्ति उसकी सहमति के बिना एकतरफा तौर पर की है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि याचिका जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 45डी की वैधता के संबंध में कानून का एक मुद्दा उठाती है, जिसे केंद्र सरकार की ओर से जारी केंद्र जारी नवीनतम अध्यादेश के जरिए संशोधित किया गया है।
यह अध्यादेश नियुक्तियों के मामले में उपराज्यपाल को चुनी हुई सरकार से ऊपर अधिभावी शक्तियां देता है। पीठ ने कानून के इस बिंदु पर अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए अगले मंगलवार को पोस्ट किया।
पीठ पूर्व जज को डीईआरसी चेयरमैन के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना पर रोक लगाने की इच्छुक थी। हालांकि, उसने स्पष्ट रूप से ऐसा करने से परहेज किया और दर्ज किया कि शपथ ग्रहण समारोह स्थगित कर दिया जाए।
पीठ ने आदेश में कहा, "यह समझा जाता है कि 22 जून, 2023 की अधिसूचना के अनुसरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज को शपथ दिलाना स्थगित कर दिया जाएगा।"
दिल्ली सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने यह कहते हुए जस्टिस कुमार की नियुक्ति अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की कि शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार को निर्धारित है। सिंघवी ने तर्क दिया कि एलजी की एकतरफा कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले और संविधान के अनुच्छेद 239एए की भावना के खिलाफ है।
सिंघवी ने आश्चर्य जताया कि जब दिल्ली सरकार आयोग के लिए भुगतान करती है और मतदाताओं के प्रति जवाबदेह है तो क्या उसे चेयरमैन चुनने का अधिकार नहीं मिलेगा।
सिंघवी ने कहा, "एक राजनीतिक कार्यकारी के रूप में, मैं दिल्ली के सबसे गरीब लोगों को 200 यूनिट बिजली देता हूं। यह दिल्ली में सबसे लोकप्रिय योजना है। अब वे किसी को नियुक्त करना चाहते हैं और इसे रोकना चाहते हैं!"
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि जस्टिस कुमार की नियुक्ति 19 मई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट किए गए कानून के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सहमति लेने के बाद की गई थी। इस बिंदु पर, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को उनकी सहमति के लिए किसने लिखा था- "एलजी या सरकार?"
एसजी ने उत्तर दिया- "एलजी"।
इसके बाद पीठ ने अंतरिम आदेश पारित करने का फैसला किया। एसजी ने कहा कि शपथ दिलाना सरकार का काम है, जिसे वे 22 जून से कोई न कोई कारण बताकर टाल रहे हैं।
एसजी ने कहा, "कृपया इस तथ्य पर मुहर न लगाएं कि वे 23 जून से ही इसे टाल रहे हैं.. वे इसे किसी न किसी कारण से टाल रहे हैं।"
सीजेआई ने कहा, "तब हम उस अधिसूचना पर रोक लगा देंगे जो हम पहले से ही करना चाहते थे.. लेकिन किसी तरह हम इसे एक अलग एहसास देना चाहते थे।"
एलजी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट संजय जैन ने पीठ को सूचित किया कि दिल्ली सरकार द्वारा अनुशंसित सेवानिवृत्त जज, जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव ने व्यक्तिगत कठिनाइयों का हवाला देते हुए पद स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
पृष्ठभूमि
यह मुद्दा तब उठा जब डीईआरसी के पिछले अध्यक्ष, इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज, जस्टिस शबीहुल हसनैन ने 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 09.01.2023 को पद छोड़ दिया। नतीजतन, 04.01.2023 को दिल्ली सरकार ने एमपी हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव की नियुक्ति का प्रस्ताव एलजी के समक्ष रखा था।
हालांकि, सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं की गई और डीईआरसी लगभग 4 महीने तक बिना चेयरपर्सन के काम करता रहा। उपराज्यपाल का रुख था कि दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की राय की आवश्यकता है या नहीं, इस पर उन्हें कानूनी सलाह की आवश्यकता है।
अप्रैल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी देने में दिल्ली एलजी की निष्क्रियता के खिलाफ जीएनसीटीडी द्वारा दायर एक रिट याचिका पर नोटिस जारी किया।
19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार, केवल उस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सहमति की आवश्यकता है, जहां से अनुशंसित न्यायाधीश सेवानिवृत्त हुए हैं और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सहमति की आवश्यकता नहीं है। इस स्थिति को स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एलजी को अनुवर्ती कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
हालांकि, एलजी ने 22 जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) श्री उमेश कुमार को डीईआरसी अध्यक्ष नियुक्त किया।
एलजी द्वारा जारी बयान के अनुसार, जस्टिस (सेवानिवृत्त) राजीव कुमार श्रीवास्तव (मध्य प्रदेश हाईकोर्ट) ने 15 जून को एलजी को एक पत्र के माध्यम से "पारिवारिक प्रतिबद्धताओं और आवश्यकताओं" का हवाला देते हुए अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने में असमर्थता व्यक्त की थी।