सुप्रीम कोर्ट ने एलजी के समक्ष SRB अनुशंसाएं रखने के झूठे बयान पर दिल्ली के गृह सचिव को अवमानना ​​नोटिस जारी किया

Shahadat

10 March 2025 8:37 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने एलजी के समक्ष SRB अनुशंसाएं रखने के झूठे बयान पर दिल्ली के गृह सचिव को अवमानना ​​नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली सरकार के गृह विभाग सचिव को तलब किया और उनसे स्पष्टीकरण मांगा। कोर्ट ने उनसे कारण बताने को कहा कि राज्य सरकार के इस “पूरी तरह झूठे” दावे के लिए अवमानना ​​कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए कि सजा माफी के मामले में सजा समीक्षा बोर्ड (SRB) की अनुशंसाएं उपराज्यपाल के समक्ष रखी गई थीं।

    जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने तिहाड़ के जेल मुख्यालय, पीएचक्यू-II के जेल अधीक्षक प्रेम सिंह मीना द्वारा दायर हलफनामे को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें खुलासा किया गया कि सजा समीक्षा बोर्ड 10 दिसंबर, 2024 को हुई अपनी बैठक में किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सका।

    न्यायालय ने कहा,

    “हलफनामे में यह नहीं कहा गया कि सजा समीक्षा बोर्ड के निर्णय को माननीय उपराज्यपाल के समक्ष रखा गया। इसलिए राज्य सरकार द्वारा दिया गया बयान, जो 7 फरवरी, 2025 के आदेश में दर्ज है, पूरी तरह झूठा है। दिल्ली सरकार के गृह विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर उनसे कारण बताने को कहा गया कि उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के तहत कार्रवाई सहित उचित कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए।”

    7 फरवरी, 2025 को राज्य ने प्रस्तुत किया कि सजा समीक्षा बोर्ड की सिफारिशें 2 फरवरी, 2025 को उपराज्यपाल के समक्ष रखी गईं। न्यायालय ने तब निर्देश दिया कि 28 फरवरी, 2025 को अगली सुनवाई से पहले याचिकाकर्ता को निर्णय से अवगत कराया जाए।

    25 नवंबर, 2024 के पूर्व आदेश में न्यायालय ने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता का मामला सितंबर 2024 में सजा समीक्षा बोर्ड के समक्ष रखा गया, लेकिन विचार स्थगित कर दिया गया। न्यायालय ने स्थगन पर सवाल उठाया और निर्देश दिया कि मामले पर पुनर्विचार किया जाए और 9 दिसंबर, 2024 को होने वाली अगली सुनवाई से पहले उचित निर्णय लिया जाए।

    नवीनतम आदेश में न्यायालय ने यह भी कहा कि सजा समीक्षा बोर्ड को बहुमत से निर्णय लेना चाहिए था और इसके सदस्यों के बीच मात्र मतभेद के आधार पर सिफारिश को स्थगित करना उचित नहीं ठहराया जा सकता। न्यायालय ने सचिव को इस पहलू को भी स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

    न्यायालय ने आगे कहा,

    “हमारे प्रथम दृष्टया विचार में सजा समीक्षा बोर्ड को बहुमत से निर्णय लेना चाहिए था। केवल इसलिए कि सदस्यों के बीच मतभेद है, सिफारिश को स्थगित नहीं किया जा सकता। यहां तक ​​कि गृह विभाग के सचिव द्वारा इस पहलू को भी स्पष्ट किए जाने की आवश्यकता है।”

    नोटिस 28 मार्च, 2025 को वापस किया जाना है, जब सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होना है।

    केस टाइटल– मोहम्मद आरिफ बनाम राज्य (दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार)

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