सुप्रीम कोर्ट का सेशन कोर्ट को निर्देश- मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान की अपराध के समय किशोर मानने वाली अपील पर फैसला लें
Shahadat
11 Feb 2025 9:45 AM

सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए सेशन कोर्ट निर्देश दिया कि वह समाजवादी पार्टी (SP) के नेता मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान द्वारा दायर आपराधिक अपील पर 6 महीने के भीतर फैसला करे, जिसमें उन्हें आईपीसी की धारा 353 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया। न्यायालय ने कहा कि अब्दुल्ला आजम खान की अपील पर उन्हें अपराध की तिथि पर किशोर मानते हुए फैसला किया जाना चाहिए।
मुरादाबाद कोर्ट ने अब्दुल्ला को फरवरी 2023 में दोषी ठहराया और 15 साल पहले आयोजित धरने के दौरान इस अपराध के लिए अपने पिता के साथ 2 साल के कारावास की सजा सुनाई।
अब्दुल्ला के खिलाफ वर्ष 2008 में रामपुर में CRPF कैंप पर हमले के मद्देनजर पुलिस द्वारा जांच के लिए उनके काफिले को रोके जाने के बाद राज्य राजमार्ग पर धरना (विरोध) करने के लिए मामला दर्ज किया गया। बेटे और पिता दोनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 341 और 353 के तहत मामला दर्ज किया गया।
हालांकि, इस आधार पर इसे चुनौती दी गई कि उस समय वह किशोर था। अप्रैल, 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दो दिन बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने अब्दुल्ला आज़म खान की सुअर विधानसभा सीट को 'रिक्त' घोषित कर दिया।
26 सितंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज, रामपुर को अब्दुल्ला की जन्मतिथि के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका पर सुनवाई की। 5 नवंबर को सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल खान के लिए पेश हुए। उन्होंने प्रस्तुत किया कि उनकी जन्मतिथि पर रिपोर्ट उनके पक्ष में थी। इसलिए मामले में और कुछ नहीं बचा है।
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा कि न्यायालय जिला जज को अनुमति प्रदान करेगा और निर्देश पारित करेगा।
खंडपीठ ने आदेश दिया:
"इस बीच, हम जिला कोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह 6 महीने के भीतर निपटान करने का प्रयास करे।"
सिब्बल ने अनुरोध किया कि न्यायालय अब्दुल्ला के पक्ष में किशोर न्यायालय के निष्कर्षों को भी निर्दिष्ट कर सकता है।
इसलिए न्यायालय ने कहा:
"यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि जिला कोर्ट याचिकाकर्ता को किशोर मानते हुए मामले को आगे बढ़ाएगा।"
बता दें कि यह दूसरी बार है जब उन्हें यूपी विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया। इससे पहले स्वार निर्वाचन क्षेत्र (2017 के राज्य विधानसभा चुनावों में) से उनके चुनाव को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस आधार पर अमान्य कर दिया था कि नामांकन दाखिल करने के समय नामांकन पत्र की जांच की तारीख और परिणामों की घोषणा की तारीख को उनकी आयु 25 वर्ष से कम थी।
केस टाइटल: मोहम्मद अब्दुल्ला आज़म खान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 5216/2023 और मोहम्मद अब्दुल्ला आज़म खान बनाम भारत का चुनाव आयोग और अन्य डब्ल्यू.पी. (सी) संख्या 499/2023