सुप्रीम कोर्ट का महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को निर्देश: शिवसेना में विभाजन के बाद दायर अयोग्यता याचिकाओं पर 31 दिसंबर तक और एनसीपी में विभाजन मामले पर 31 जनवरी तक फैसला करें

Shahadat

30 Oct 2023 8:03 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट का महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को निर्देश: शिवसेना में विभाजन के बाद दायर अयोग्यता याचिकाओं पर 31 दिसंबर तक और एनसीपी में विभाजन मामले पर 31 जनवरी तक फैसला करें

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को निर्देश दिया कि वह शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विभाजन के संबंध में दायर अयोग्यता याचिकाओं पर क्रमशः 31 दिसंबर, 2023 और 31 जनवरी, 2024 तक फैसला करें।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ शिवसेना के सदस्य सुनील प्रभु (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी के सदस्य (शरद पवार) के जयंत पाटिल द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इनमें क्रमशः एकनाथ शिंदे और अजीत पवार गुटों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर स्पीकर द्वारा शीघ्र निर्णय लेने की मांग की गई है।

    पीठ ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर के इस रुख पर नाराजगी व्यक्त की कि उन्हें शिवसेना पार्टी में विभाजन के संबंध में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के लिए 29 फरवरी, 2024 तक का समय चाहिए।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा,

    "अब वह कह रहे हैं कि वह 29 फरवरी 2024 तक सुनवाई करेंगे?"

    सीजेआई ने इससे पहले मामले में सुनवाई में देरी के लिए स्पीकर की खिंचाई भी की थी। स्पीकर राहुल नार्वेकर की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कार्यवाही 31 जनवरी तक पूरी हो जाएगी।

    सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा,

    "उन्हें फैसला करना है... इसे 31 दिसंबर तक खत्म करना है..."

    सीजेआई ने 31 दिसंबर की समय-सीमा को दोहराते हुए कहा,

    "चुनावों की घोषणा होने तक कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकती..."

    सीजेआई ने बताया कि शिवसेना मामले में संविधान पीठ का फैसला इस साल मई में आया था और घटनाएं हुईं जुलाई 2022 में।

    सॉलिसिटर जनरल ने दिवाली की छुट्टियों और विधानसभा के शीतकालीन सत्र का हवाला देते हुए कहा कि 31 जनवरी से पहले फैसले की उम्मीद करना अवास्तविक होगा।

    हालांकि, पीठ अपने विचार पर दृढ़ थी कि कार्यवाही 31 दिसंबर से पहले पूरी की जानी चाहिए और उस संबंध में आदेश पारित किया। जहां तक एनसीपी में विभाजन की बात है तो कोर्ट ने यह देखते हुए 31 जनवरी तक का समय दिया कि याचिकाएं इसी साल दायर की गई हैं।

    सीनियर वकील कपिल सिब्बल और देवदत्त कामत उद्धव ठाकरे समूह की ओर से पेश हुए। सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी अजीत पवार समूह की ओर से पेश हुए और सीनियर एडवोकेट नीरज किशन कौल एकनाथ शिंदे समूह की ओर से पेश हुए।

    पिछली सुनवाई में अदालत ने अयोग्यता याचिकाओं की शीघ्र सुनवाई के लिए उचित कार्यक्रम निर्धारित करने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को "अंतिम अवसर" दिया था।

    इससे पहले अदालत ने शिवसेना के मामलों के लिए लंबी समय-सारणी निर्धारित करने के लिए अध्यक्ष की आलोचना की थी और स्पीकर से याचिकाओं की सुनवाई के लिए उचित समय-अनुमान देने को कहा था।

    पीठ ने उस समय-सारणी पर अपना असंतोष व्यक्त किया था, जो स्पीकर द्वारा अदालत को बताई गई थी, क्योंकि अदालत के अनुसार, उस समय-सारणी का पालन करने से अयोग्यता की कार्यवाही में कोई तत्काल या पूर्वानुमानित निष्कर्ष नहीं निकलेगा।

    शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता सुनील प्रभु द्वारा दायर याचिका 11 मई, 2023 के संविधान पीठ के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आधारित थी कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर "उचित अवधि के भीतर" फैसला करना चाहिए।

    केस टाइटल: सुनील प्रभु बनाम स्पीकर, महाराष्ट्र राज्य विधानसभा डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 685/2023 + जयंत पाटिल कुमार बनाम स्पीकर महाराष्ट्र राज्य विधानसभा डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 1077/2023

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