यह बहस योग्य मुद्दा क‌ि सेवा मामलों में जनहित याचिका बिल्कुल भी सुनवाई योग्य नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कानून के मुद्दे को खुला छोड़ा

Avanish Pathak

9 Nov 2023 2:36 PM GMT

  • यह बहस योग्य मुद्दा क‌ि सेवा मामलों में जनहित याचिका बिल्कुल भी सुनवाई योग्य नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कानून के मुद्दे को खुला छोड़ा

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट के दिए फैसले से पैदा हुई एक अपील पर सुनवाई करते हुए, अपने आदेश पर संदेह व्यक्त किया कि जनहित याचिका सेवा मामलों में "बिल्कुल भी" सुनवाई योग्य नहीं है, और कहा कि यह " बहस योग्य मुद्दा” है। जिसके बाद न्यायालय ने इस मुद्दे को खुला रखा है और कहा कि उचित मामले में इसका निर्णय किया जाएगा।

    जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के समक्ष एक मामले की सुनवाई हुई।

    वर्तमान मामले में प्रताप सिंह बिस्ट (याचिकाकर्ता) द्वारा वर्ष 2017 में शिक्षकों के पद पर उत्तरदाताओं (5 से 17 तक) की नियुक्तियों को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका के रूप में एक रिट याचिका दायर की गई थी। ये नियुक्तियां वर्ष 2008 में शिक्षा निदेशालय, नई दिल्ली के तहत की गई थीं। दावा किया गया कि उनके पास शिक्षक के रूप में नियुक्त होने के लिए अपेक्षित योग्यता नहीं है।

    हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले के माध्यम से इन चुनौतीपूर्ण नियुक्तियों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। न्यायालय ने प्रतिवादी द्वारा दायर विस्तृत हलफनामे की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि आवश्यक योग्यता मौजूद है। इस प्रकार, यह माना गया कि उत्तरदाता (5 से 17 तक) इस पद के लिए पात्र हैं।

    हाईकोर्ट ने फैसले में कहा,

    “अन्यथा भी, डॉ दुर्योधन साहू और बनाम जितेंद्र कुमार मिश्रा और अन्य, (1998) 7 एससीसी 273 अन्य के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के आलोक में एक जनहित याचिका सेवा मामलों में बिल्कुल भी सुनवाई योग्य नहीं है।

    याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका भी दायर की; हालांकि उसे भी ख़ारिज कर दिया गया था। जिसके बाद वर्तमान मामला दायर किया गया।

    सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि प्रतिवादी क्रमांक 5 से 17 पहले ही लगभग 15 वर्षों तक सेवा कर चुके हैं। इस प्रक्षेपण पर कोर्ट ने नियुक्तियों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हालांकि, सेवा मामलों में जनहित याचिका के विचारणीय न होने के संबंध में उसकी आपत्तियां थीं। इस प्रकार कोर्ट ने कहा,

    "हालांकि हाईकोर्ट द्वारा दिया गया दूसरा कारण यानि डॉ दुर्योधन साहू और अन्य बनाम जिंतेंद्र कुमार मिश्रा और अन्य में ( 1998) 7 एससीसी 273 इस न्यायालय के फैसले के मद्देनजर, "सेवा मामलों में जनहित याचिका बिल्कुल भी सुनवाई योग्य नहीं है", एक बहस का मुद्दा है और कानून का उक्त प्रश्न उचित मामले में जाने के लिए खुला रखा गया है।

    केस टाइटल: प्रताप सिंह बिस्ट बनाम निदेशक, शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार और अन्य, डायरी नंबर (एस.41779/2023)।

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