किसी पक्षकार या उनके वकील की अनुपस्थिति में भी आपराधिक पुनर्विचार याचिका पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
24 Aug 2023 11:05 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि पुनर्विचार याचिका पर विचार करने के मापदंडों के अनुसार, पक्षकार या पक्षकार के वकील की अनुपस्थिति में भी पुनर्विचार याचिका पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने मदन लाल कपूर बनाम राजीव थापर, (2007) 7 एससीसी 623 में फैसले का उल्लेख किया, जिसमें यह माना गया कि एक आपराधिक अपील को डिफ़ॉल्ट के लिए खारिज नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही यह माना गया कि यह नियम आपराधिक पुनर्विचार पर भी लागू होगा।
जस्टिस सी टी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा आपराधिक पुनर्विचार याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती पर विचार कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
“जब कोई प्रतिकूल आदेश किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा तो यह तथ्य कि वह दोषी है, उसे इस न्यायालय द्वारा निर्धारित तरीके से उसकी पुनर्विचार याचिका पर विचार करने के मामले में उचित व्यवहार से वंचित करने का कारण नहीं हो सकता, क्योंकि इस संबंध में इस न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून भारत के संविधान के अनुच्छेद 141 के आधार पर सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी है।
मौजूदा मामले में अपीलकर्ता को परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 के तहत दोषी ठहराया गया। अपील में हाईकोर्ट द्वारा उसकी सजा की पुष्टि की गई। अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। इस आदेश के खिलाफ अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को गुण-दोष पर कोई विचार किए बिना गैर-तर्कसंगत आदेश पाया।
अदालत ने कहा,
“हमने विवादित आदेश का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया। इससे पता चलेगा कि जब मामला सुनवाई के लिए लिया गया तो अपीलकर्ता के वकील और अपीलकर्ता भी अनुपस्थित थे। आदेश से यह भी पता चलेगा कि उनकी अनुपस्थिति को नोट करने के बाद न्यायालय ने रिकॉर्ड का अवलोकन किया और अंततः विवादित आदेश पारित कर दिया। हालांकि, आदेश गुण-दोष के आधार पर मामले पर विचार को प्रतिबिंबित नहीं करता है। दूसरे शब्दों में यह गैर-तर्कसंगत आदेश है।”
यह मानने के बाद कि किसी पुनर्विचार याचिका गुण-दोष के आधार पर विचार किए बिना खारिज नहीं की जा सकती, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को नए सिरे से विचार करने के लिए हाईकोर्ट वापस भेज दिया। हालांकि, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मामला वर्ष 2017 से संबंधित है, हाईकोर्ट को इस पर शीघ्र विचार करने के लिए कहा गया।
केस टाइटल: ताज मोहम्मद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, आपराधिक अपील नंबर- (एसएलपी (सीआरएल) नंबर 5298/2023 से उत्पन्न)
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