सिर्फ आपराधिक पृष्ठभूमि ज़मानत रद्द करने का आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
Praveen Mishra
23 Sept 2025 12:38 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 सितम्बर) को केरल हाईकोर्ट का वह आदेश रद्द कर दिया, जिसमें एसडीपीआई (SDPI) राज्य सचिव के.एस. शान की दिसंबर 2021 में हुई हत्या के मामले में पांच आरोपियों की ज़मानत रद्द की गई थी। जस्टिस दिपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की खंडपीठ ने पांच आरोपियों (अभिमन्यु, अतुल, सनंद, विष्णु और धनीश) को ज़मानत दी। आरोप है कि वे आरएसएस से जुड़े हैं और हत्या राजनीतिक दुश्मनी में की गई थी।
ट्रायल कोर्ट ने दिसंबर 2022 में एक साल की हिरासत के बाद उन्हें ज़मानत दी थी, जिसे हाईकोर्ट ने दिसंबर 2024 में राज्य की अपील पर रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी लगभग दो साल से ज़मानत पर बाहर थे और साक्ष्य से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने की आशंका कड़ी शर्तों से नियंत्रित की जा सकती है।
राज्य के इस तर्क पर कि आरोपी विष्णु ने ज़मानत की शर्त तोड़ी थी, कोर्ट ने पाया कि कथित पीड़ित ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर विष्णु की संलिप्तता से इनकार किया है। इसलिए यह ज़मानत रद्द करने का आधार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि (antecedents) मात्र ज़मानत न देने का कारण नहीं हो सकती।
जस्टिस दत्ता ने निर्णय में दोहराया कि "ज़मानत नियम है और जेल अपवाद"। कोर्ट ने ध्यान दिलाया कि मामले में 141 गवाह हैं, इसलिए ट्रायल लंबा चलेगा, और आरोपी अब तक किसी अन्य अपराध में शामिल नहीं पाए गए। इस आधार पर स्वतंत्रता को प्राथमिकता देते हुए ज़मानत दी गई।
शर्तों के अनुसार, आरोपी अलप्पुझा ज़िले में (जहाँ अपराध हुआ) केवल ट्रायल के लिए जा सकेंगे और जिस जगह रहेंगे वहाँ के थाने में हर दूसरे दिन हाजिरी देंगे। यह शर्त मुख्य गवाहों की गवाही पूरी होने के बाद बदली जा सकती है। केरल पुलिस को आदेश दिया गया कि वह ज़मानत शर्तों की निगरानी करे और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। साथ ही, राज्य को निर्देश दिया गया कि ट्रायल कोर्ट में सभी गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करे और ट्रायल जल्द पूरा हो।

