COVID-19: सुप्रीम कोर्ट में बार काउंसिल ऑफ इंडिया की पत्र याचिका, कानूनी बिरादरी की चिकित्‍सा समस्याओं को दूर करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने की मांग

LiveLaw News Network

8 May 2021 12:44 PM IST

  • COVID-19: सुप्रीम कोर्ट में बार काउंसिल ऑफ इंडिया की पत्र याचिका, कानूनी बिरादरी की चिकित्‍सा समस्याओं को दूर करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने की मांग

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक पत्र याचिका दायर की है, जिसमें COVID -19 से प्रभावित वकीलों, जजों, उनके कर्मचारियों और परिवारों सहित कानूनी बिरादरी के कष्टों को दूर करने के लिए उचित निर्देश देने की मांग की गई हैं।

    पिछले कुछ हफ्तों में COVID -19 के कारण कई प्रतिष्ठित वकीलों और जजों की मृत्यु के मद्देनजर, बीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट से जिला, तालुका, हाईकोर्ट के वकीलों, जजों, उनके कर्मचारी और परिवार को, जिन्हें आवश्यकता है, को पर्याप्त बेड्स और अन्य COVID उपचार सुविधा दिलाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने का आग्रह किया है।

    काउंसिल ने कहा कि उसे देश भर से शिकायतें मिल रही हैं कि जिला प्रशासन और न ही कोई सरकारी अधिकारी किसी भी संकट की स्थिति में वकीलों की कॉल का जवाब दे रहा है।

    चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के बारे में कई जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं, हालांकि, उनमें से अधिकांश बड़े शहरों से संबंधित हैं।

    "हम दूर-दराज के इलाकों की परिस्थितियों पर विचार नहीं कर रहे हैं। जिला और तालुकों में न तो पर्याप्त एम्बुलेंस उपलब्ध हैं और न ही अस्पतालों में पर्याप्त ऑक्सीजन बेड हैं। वेंटिलेटर एक सपने की तरह हैं ...।"

    बीसीआई ने कहा है कि पिछले 14-15 महीनों की महामारी के दौरान, किसी भी सरकारी मशीनरी ने वकीलों के बारे में नहीं सोचा है, जो 'कोर्ट के अधिकारी' हैं। "किसी वित्तीय सहायता के बारे में क्या बात करें, केंद्र या राज्य सरकारें वकीलों को उचित और पर्याप्त चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं.."

    बीसीआई ने सुझाव दिया है कि नोडल अधिकारियों को सभी स्तरों पर नियुक्त किया जाना चाहिए,‌ ‌जिन्हें उच्चतर न्यायिक अधिकारियों के बीच से लिया जाए। ये अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर बार एसोसिएशनों के संपर्क में रह सकते हैं, जो जरूरत पड़ने पर वकीलों की व्यक्तिगत परेशानियों को उठा सकते हैं।

    यह सुझाव दिया गया है कि इन नोडल अधिकारियों को वकीलों या उनके परिवारों की शिकायतों के निवारण के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुखों, चिकित्सा अधिकारियों, अस्पतालों के प्रमुखों, प्रशासनिक और पुलिस प्रमुखों को कॉल करने के लिए अध‌िकृत किया जा सकता है।

    नोडल अधिकारियों के कॉल / आदेश को अधिकारियों पर बाध्यकारी बनाया जाए और बिना किसी देरी के उनका अनुपालन किया जाए। नोडल अधिकारियों के आदेशों / कॉलों की की अनदेखी, लापरवाही या अवज्ञा को घोर अवमानना ​​माना जाए है और इसे संबंधित प्राधिकारियों का घोर दुराचार माना जाए।

    इसके अलावा, यह आग्रह किया जाता है कि राज्य सरकारों और जिला प्रशासन को ऑक्सीजन सिलेंडर प्रदान करने के लिए निर्देशित किया जाए और संबंधित राज्य की बार काउंसिल या बार एसोसिएशन द्वारा नोडल ऑफिसर को की गई सिफारिशों पर किसी अधिवक्ता या उसके परिवार या कर्मचारियों और न्यायिक अधिकारियों, उनके परिवारों और अदालत के कर्मचारियों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।

    काउंसिल ने कहा कि वह समाज के अन्य वर्गों की तुलना में चिकित्सा के मामले में कोई विशेष उपचार नहीं चाहती है, लेकिन संबंधित आधिकारिक मशीनरी से बस एक उदारपूर्ण प्रतिक्रिया चाहती है, ताकि प्रभावित वकीलों और उनके परिवार के सदस्यों के दुख और कष्टों में कुछ कमी आए

    पिछले कुछ दिनों में, एनजीटी के रजिस्ट्रार जनरल, आशु गर्ग; इलाहाबाद हाईकोर्ट के वर्तमान जज जस्टिस वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की वर्तमान जज जस्टिस वंदना कासरेकर सहित कई न्यायिक अधिकारियों और वकीलों की COVID -19 से मौत हो गई है।

    इस मंगलवार को, इलाहाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया गया था कि अस्पताल के अधिकारियों ने जस्टिस श्रीवास्तव पर तब तक ध्यान नहीं दिया, जब तक कि उनकी हालत गंभीर रूप से बिगड़ नहीं गई और उन्हें दूसरे अस्पताल में ‌श‌िफ्ट नहीं किया गया, जहां वे गुजर गए।

    पत्र डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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