जांच में सहयोग नहीं करने वाले फरार आरोपी की मदद नहीं करेगा कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

11 Oct 2021 1:38 PM GMT

  • जांच में सहयोग नहीं करने वाले फरार आरोपी की मदद नहीं करेगा कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत जांच में सहयोग नहीं कर रहे किसी फरार आरोपी के न तो बचाव में आएगी और न ही उसकी मदद करेगी।

    न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के अग्रिम जमानत से इनकार करने के आदेश को बरकरार रखते हुए यह बात कही।

    आरोपी सनातन पांडे पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 323, 324, 307, 308, 504 और 452 के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगाया गया था। सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए चार्जशीट को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष उनका आवेदन दायर था। हाईकोर्ट द्वारा दिनांक 10.12.2019 के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया था। इसके बाद उन्हें कोर्ट में सरेंडर करने का निर्देश दिया गया। चूंकि उसने आत्मसमर्पण नहीं किया और नियमित जमानत के लिए आवेदन नहीं किया, उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया। यहां तक ​​कि सीआरपीसी की धारा 82 के तहत कार्यवाही प्रारम्भ की गई। बाद में हाईकोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उसने तर्क दिया कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया और यह कि जांच पूरी हो चुकी है। आरोप पत्र दायर किया गया और इसलिए, आवेदक को अग्रिम जमानत देने के लिए यह एक फिट मामला है।

    कोर्ट ने उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कहा,

    "उपरोक्त अपराधों के लिए याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाया गया और यहां तक ​​कि आरोप पत्र भी दायर किया गया। याचिकाकर्ता फरार पाया गया है। इसलिए, याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने के लिए यह एक उपयुक्त मामला नहीं है।"

    बेंच अपील खारिज करते हुए जोड़ा गया,

    "न्यायालय बचाव में नहीं आएगा या उस आरोपी की मदद नहीं करेगा जो जांच एजेंसी का सहयोग नहीं कर रहा है और फरार है। साथ ही जिसके खिलाफ न केवल गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है बल्कि सीआरपीसी की धारा 82 के तहत उद्घोषणा भी जारी की गई है।"

    केस का नाम और उद्धरण: सनातन पांडे बनाम उत्तर प्रदेश राज्य| एलएल 2021 एससी 568

    मामला संख्या। और दिनांक: 2021 की एसएलपी (सीआरएल) 7358| 7 अक्टूबर 2021

    कोरम: जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना

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