कोर्ट बॉयकॉट: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर को अवमानना नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

5 Oct 2021 9:25 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर के पदाधिकारियों को हाईकोर्ट की एक पीठ का बहिष्कार करने के आरोप में अवमानना का ​​​​नोटिस जारी किया।

    जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अदालतों के ब‌हिष्कार और वकीलों हड़ताल के खिलाफ दिए बार-बार के फैसलों के बावजूद राजस्‍थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन 27 सितंबर को हड़ताल पर चला गया।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट मनन कुमार मिश्रा ने पीठ को बताया कि बीसीआई ने जयपुर बार एसोसिएशन को बहिष्कार पर नोटिस जारी किया है और उन्होंने यह कहते हुए जवाब दिया है कि बहिष्कार केवल हाईकोर्ट की एक अदालत के संबंध में था।

    सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से कहा कि सिर्फ एक कोर्ट रूम का बहिष्कार भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "यह भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। केवल एक अदालत का बहिष्कार करने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता बाधित होगी और उस विशेष न्यायाधीश पर दबाव हो सकता है, जिसकी अदालत का बहिष्कार किया जाता है और इससे न्यायपालिका का मनोबल गिर सकता है।" .

    आदेश में कहा गया, "राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर के अध्यक्ष, सचिव और पदाधिकारियों को नोटिस जारी करके उनके खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए, इसका कारण बताएं।"

    मामल में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से प्रतिवादियों को नोटिस तामील करने का निर्देश दिया गया है, जिसका जवाब 25 अक्टूबर तक देना है।

    आदेश में कहा गया, "बार एसोसिएशन और वकीलों का हड़ताल पर जाना बिल्कुल अवमानना ​​​​है और एक्स कैप्टन हरीश उप्पल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, (2003) 2 एससीसी 45; कॉमन कॉज, एक पंजीकृत सोसायटी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, (2006) 9 एससीसी 295; कृष्णकांत ताम्रकर बनाम एमपी राज्य, (2018) 17 एससीसी 27 और जिला बार एसोसिएशन, देहरादून अपने सचिव के माध्यम से बनाम ईश्वर शांडिल्य और अन्य, 2020 एससीसी ऑनलाइन एससी 24 के मामले में इस न्यायालय के पहले के फैसलों के विपरीत है।"

    जयपुर बार एसोसिएशन ने जस्टिस सतीश कुमार शर्मा की कोर्ट के बहिष्कार का आह्वान किया है। उन्होंने एक वकील की सुरक्षा की मांग के लिए दायर एक याचिका तत्काल सूचीबद्ध करने से मना कर दिया था, जिसके बाद बहिष्कार का प्रस्‍ताव पारित किया गया। एसोसिएशन ने मांग की कि जस्टिस शर्मा की पीठ से आपराधिक मामलों को हटाने के लिए रोस्टर को बदला जाए।

    सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ​​नोटिस

    सुप्रीम कोर्ट ने जिला बार एसोसिएशन, देहरादून, अपने सचिव के माध्यम से बनाम ईश्वर शांडिल्य व अन्य के मामले में जयपुर बार एसोसिएशन को अवमानना ​​का कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उसने वकीलों की हड़ताल की प्रवृत्ति का स्वत: संज्ञान लिया गया है। पीठ ने पहले इस मुद्दे के समाधान के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया की सहायता मांगी थी।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पीठ को बताया कि वह राज्य बार काउंसिल के साथ बैठक के बाद वकीलों द्वारा हड़तालों और अदालत के बहिष्कार को कम करने के लिए नियम बनाने का प्रस्ताव कर रही है।

    बाद की सुनवाई की तारीख पर पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे को ‌निस्तारित करने के लिए एक "विस्तृत आदेश" पारित करेगी।

    पीठ ने यह भी कहा कि वह वकीलों के लिए स्थानीय स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने पर विचार कर रही है ताकि उनकी वैध शिकायतों को हड़ताल करने के बजाय एक उचित मंच के माध्यम से संबोधित किया जा सके।

    28 फरवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को गंभीरता से लेते हुए कि न्यायालय के लगातार निर्णयों के बावजूद, वकील/बार एसोसिएशन हड़ताल पर जा रहे हैं, मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और बार काउंसिल ऑफ इंडिया और सभी को नोटिस जारी किया था।

    न्यायालय की स्वत: कार्रवाई उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ जिला बार एसोसिएशन देहरादून द्वारा दायर एक अपील को खारिज करते हुए आई, जिसमें वकीलों की हड़ताल को अवैध घोषित किया गया था।

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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