गंगा में तैरते शव : सुप्रीम कोर्ट ने शवों के अंतिम संस्कार के लिए दिशानिर्देश वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार किया, एनएचआरसी जाने की छूट दी
LiveLaw News Network
28 Jun 2021 2:27 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें उन मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक नीति तैयार करने और दाह संस्कार व एम्बुलेंस सेवाओं के अधिक शुल्क को नियंत्रित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी, जिनकी कोविड-19 से मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने याचिकाकर्ता को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाने की छूट दी है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता रॉबिन राजू ने अदालत को बताया कि गंगा नदी में शव मिलने की घटनाओं के मद्देनज़र मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नीति बनाने के निर्देश मांगे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता संगठन ने इस मुद्दे को उच्च न्यायालय के समक्ष भी उठाया, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।
बेंच ने कहा,
"आपने एनएचआरसी की कुछ सिफारिशों का उल्लेख किया है और एनएचआरसी को जवाब देने के लिए कहा गया था।आप एनएचआरसी में जाएं। आप कितने मंचों से संपर्क करेंगे। आप पहले ही उच्च न्यायालय से संपर्क कर चुके हैं, उच्च न्यायालय ने एक निर्देश दिया है, एनएचआरसी ने हस्तक्षेप किया है।"
न्यायमूर्ति राव ने कहा,
"श्री राजू, अब भी कुछ नहीं हो रहा है। आप जो समस्या उठा रहे हैं वह गंभीर समस्या है, हम सहमत हैं, लेकिन सौभाग्य से वो स्थिति अब नहीं है। एनएचआरसी में जाएं, एनएचआरसी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित करेगा।"
दरअसल गंगा नदी में तैरते शवों की दुखद खबर के मद्देनज़र, एनजीओ ट्रस्ट डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव द्वारा वर्तमान याचिका दायर की गई थी, जिसमें एक विशिष्ट कानून बनाने की सख्त जरूरत पर जोर दिया गया था जो मृतकों के अधिकारों की रक्षा करे, और दिशानिर्देश जारी करने के लिए कहा गया था कि दाह संस्कार और एम्बुलेंस सेवाओं के लिए दरें निर्धारित करनी चाहिए। साथ ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को गैर-अनुपालन के लिए दंडात्मक कार्रवाई करने के निर्देश भी मांगे गए थे।
याचिका में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा 14 मई 2021 को मृतकों की गरिमा को बनाए रखने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए जारी एडवाइजरी पर भी ध्यान दिया गया, जिसके तहत केंद्र और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 11 सिफारिशें दी गई हैं।
इसके अलावा, एनएचआरसी ने केंद्रीय गृह सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को एक पत्र के माध्यम से एडवायजरी की सिफारिशों को लागू करने और चार सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देने के लिए भी कहा था।
श्मशान और एम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं के अधिक शुल्क के मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए, याचिका में कहा गया कि ये दो मुद्दे सीधे गंगा नदी में शवों को फेंकने की खबर से जुड़े हुए हैं, क्योंकि अत्यधिक मात्रा में वसूली किए जाने के कारण, लोगों ने शवों को गंगा नदी में फेंकने का फैसला किया।
याचिकाकर्ता संगठन ने बताया कि, उसने दिल्ली में श्मशान और एम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय (दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के संकट प्रबंधन सामूहिक बनाम सरकार) में अधिक शुल्क लेने का मुद्दा उठाया, जहां 6 मई 2021 को अपने आदेश के माध्यम से, न्यायालय ने याचिकाकर्ता को संबंधित नगर निगमों को तरजीही प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता दी।
याचिकाकर्ता के अनुसार, जब 11 मई को सभी 4 नगर निगमों को उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए एक प्रतिवेदन दिया गया, तो उन्हें स्वीकार नहीं किया या जवाब नहीं दिया गया था, जिससे याचिकाकर्ता के विश्वास की पुष्टि हुई कि ज्यादा कीमत लेने को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाएगी।
याचिका में कहा गया है,
"इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि गंगा नदी में तैरते शवों के मुद्दे ने अवांछित वैश्विक मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है, यह आवश्यक है कि यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय केंद्र को इस मुद्दे की गंभीरता पर विचार करने और मृतकों के अधिकार और गरिमा सुनिश्चित करने वाला कानून बनाने का निर्देश दे।"
वर्तमान याचिका एडवोकेट जोस अब्राहम द्वारा दायर की गई है और एडवोकेट रॉबिन राजू, ब्लेसन मैथ्यूज और दीपा जोसेफ द्वारा तैयार की गई है।
एनजीओ ने अपनी याचिका के माध्यम से शीर्ष न्यायालय से निम्नलिखित राहत मांगी थी :
• उत्तरदाताओं को एक ऐसी नीति तैयार करने पर विचार करने के लिए निर्देशित करें जो मृतकों के अधिकारों की रक्षा करे।
• उत्तरदाताओं को निर्देश दें कि वे सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश तैयार करने की सलाह दें जो कोविड-19 के कारण मरने वालों के दाह संस्कार/दफनाने के लिए मांगे जा रहे अधिक शुल्क को नियंत्रित करे।
• उत्तरदाताओं को निर्देश दें कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे दिशानिर्देश तैयार करें जो एम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं द्वारा मांगे जा रहे अधिक शुल्क को नियंत्रित करते हैं।
[डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव बनाम भारत संघ और अन्य]