जांच में सहयोग का मतलब यह नहीं हो सकता कि पुलिस आरोपी को बुलाए और वह 'हां' कहे: जस्टिस एसके कौल
Shahadat
27 July 2023 6:43 AM GMT
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सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एसके कौल ने दिलचस्प अदालती बातचीत में मौखिक रूप से टिप्पणी की कि आरोपी द्वारा जांच में सहयोग का मतलब यह नहीं है कि आरोपी व्यक्ति को आरोपों के लिए "हां" कहना होगा।
जस्टिस कौल ने कहा कि पुलिस केवल यह दावा नहीं कर सकती कि आरोपी व्यक्ति जांच के दौरान सहयोग नहीं कर रहा है और इन दावों का समर्थन करने के लिए ठोस सबूत उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर जोर दिया।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ के समक्ष पेश हुए वकील ने दलील दी कि आरोपी चल रही जांच में असहयोग कर रहे हैं तो जस्टिस कौल ने टिप्पणी की।
खंडपीठ ने इसके तुरंत वकील से ठोस सबूत की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए आरोपी के सहयोग की कमी को प्रदर्शित करने के लिए कहा।
हालांकि, जब वकील आरोपी के असहयोग का पर्याप्त सबूत देने में विफल रहा, तो जस्टिस कौल ने तीखा जवाब देते हुए हस्तक्षेप किया और कहा,
"जांच में सहयोग का मतलब यह नहीं हो सकता कि आप उसे बुलाएं और वह हां कह दे। पुलिस सिर्फ यह नहीं कह सकती कि आरोपी सहयोग नहीं कर रहा है, उसे यह दिखाना होगा कि वह कैसे सहयोग नहीं कर रहा है..."
जस्टिस कॉल ने बिना सबूत दिए ऐसे दावे करने की पुलिस की प्रवृत्ति पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा,
"सभी मामलों में पुलिस मानक प्रतिक्रिया दे रही है कि आरोपी सहयोग नहीं कर रहा है। आप दिखा सकते हैं कि वह कैसे सहयोग नहीं कर रहा है।"
इस समय वकील ने मामले में निर्देश लेने के लिए एक या दो दिन का समय मांगा।
खंडपीठ ने तदनुसार उन्हें ऐसा करने का समय दिया।