BRS MLAs मामले में फैसला न करने के कारण तेलंगाना स्पीकर के खिलाफ अवमानना याचिका
Shahadat
10 Nov 2025 12:28 PM IST

तेलंगाना विधानसभा स्पीकर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने 31 जुलाई को दिए गए फैसले में निर्धारित तीन महीने की समय सीमा के भीतर कांग्रेस (Congress) में शामिल हुए बीआरएस विधायकों (BRS MLAs) के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला नहीं किया।
वकील द्वारा सोमवार को मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करने के बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई ने मामले को अगले सोमवार को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।
वकील ने कल (मंगलवार) सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए कहा,
"स्पीकर ने इस मामले को नहीं छुआ, कोई कार्यवाही नहीं की। विधायक अभी भी कार्यवाही जारी रखे हुए हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि यदि कोई विधायक कार्यवाही को लंबा खींचने की कोशिश करता है तो प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जाएगा। दो याचिकाएं हैं। अध्यक्ष ने उन्हें नहीं छुआ है। अन्य साक्ष्य के चरण में हैं।"
चीफ जस्टिस ने जब इसे अगले सप्ताह सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की तो वकील ने कहा कि प्रतिवादी "स्पष्ट कारणों" से कार्यवाही को महीने के अंत तक खींच रहे हैं। उन्होंने 23 नवंबर को चीफ जस्टटिस गवई की रिटायरमेंट का परोक्ष रूप से हवाला दिया।
चीफ जस्टिस ने कहा,
"सुप्रीम कोर्ट 24 नवंबर के बाद बंद नहीं होगा।"
चीफ जस्टिस गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने तेलंगाना में दस BRS MLA के कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के संबंध में BRS नेताओं केटी रामाराव, पाडी कौशिक रेड्डी और केओ विवेकानंद द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर फैसला सुनाया। न्यायालय ने तेलंगाना विधानसभा स्पीकर को संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत विधायकों की अयोग्यता की मांग वाली याचिकाओं पर 31 जुलाई से तीन महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया था।

