"कोलेजियम प्रणाली में खामियाँ, सुधार की ज़रूरत : SCBA अध्यक्ष ने CJI को पत्र लिखा"
Praveen Mishra
25 Sept 2025 12:54 AM IST

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष और सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने CJI बी.आर. गवई को पत्र लिखकर न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार और लंबे समय से लंबित मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) को अंतिम रूप देने की मांग की है। उन्होंने मौजूदा कोलेजियम प्रणाली को “संरचनात्मक खामियों वाली” बताते हुए इसे पारदर्शी, मेरिट-आधारित और न्यायसंगत ढाँचे से बदलने की आवश्यकता बताई।
प्रमुख चिंताएं:
- SC बार वकीलों की अनदेखी: सुप्रीम कोर्ट बार से जुड़े वकीलों को उनके गृह हाईकोर्ट में जज बनने का अवसर नहीं मिलता, जिससे योग्य प्रतिभा बाहर रह जाती है।
- विविधता की कमी: फरवरी 2024 तक हाईकोर्ट में केवल 9.5% महिला जज और सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ 2.94% महिला जज हैं।
- मेरिट से ज़्यादा कृपा-दृष्टि: चयन में नेटवर्किंग और कोर्ट में दिखने वाले वकीलों को तरजीह दी जाती है, जबकि मेहनती जूनियर और ब्रीफिंग काउंसल पीछे रह जाते हैं।
सुझाए गए सलाह:
- स्वतंत्र सचिवालय – सुप्रीम कोर्ट व हर हाईकोर्ट में स्थायी निकाय जो रिक्तियां, रिकॉर्ड और समयबद्ध नियुक्तियां देखे।
- आवेदन-आधारित प्रणाली – सार्वजनिक आवेदन आमंत्रित हों ताकि SC बार सहित सभी योग्य उम्मीदवारों का मूल्यांकन हो सके।
- स्पष्ट पात्रता मानदंड – आयु, प्रैक्टिस के वर्ष, रिपोर्टेड जजमेंट, प्रो बोनो कार्य आदि को आधार बनाया जाए।
- जवाबदेही तंत्र – पारदर्शिता व निष्पक्षता के लिए शिकायत निवारण व्यवस्था।
सिंह ने कहा कि ये बदलाव कोई “बड़ी क्रांति” नहीं बल्कि कोलेजियम प्रणाली को मजबूत करने वाले संवैधानिक और संस्थागत सुरक्षा उपाय हैं। जजों की नियुक्ति अब निकटता या पहचान से नहीं, बल्कि योग्यता, ईमानदारी और संवैधानिक मूल्यों के आधार पर होनी चाहिए।
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