'सिस्टम कैसे काम करता है और ट्रायल में देरी करता है, इसका क्लासिक केस': सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को 3 साल से ज़्यादा समय बाद गवाह को वापस बुलाने की अनुमति देते हुए कहा
Shahadat
29 Nov 2024 9:54 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (28 नवंबर) को ट्रायल में व्यवस्थित देरी पर दुख जताया, जब उसने पाया कि ट्रायल कोर्ट ने POCSO मामले में आरोपी और उसके वकील की अनुपस्थिति में शिकायतकर्ता के साक्ष्य को अवैध रूप से रिकॉर्ड किया। फिर ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने आरोपी को शिकायतकर्ता से जिरह करने की अनुमति देने के लिए रिकॉल आवेदन खारिज किया।
कोर्ट ने कहा,
“यह क्लासिक केस है, जो दर्शाता है कि सिस्टम कैसे काम करता है और ट्रायल में देरी होती है। ट्रायल कोर्ट अपीलकर्ता और उसके वकील की अनुपस्थिति में PW1 के साक्ष्य को रिकॉर्ड नहीं कर सकता था। 30.05.2023 के आदेश में इस अवैधता को नोट करने के बाद ट्रायल कोर्ट ने आवेदन को खारिज कर दिया। यह एक ऐसा मामला है, जिसमें अपीलकर्ता के प्रति स्पष्ट पूर्वाग्रह है। इसलिए ट्रायल कोर्ट को ही आवेदन को स्वीकार करना चाहिए।”
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने सरकारी वकील और सरकारी वकील की क्रमशः ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के समक्ष रिकॉल आवेदन का विरोध करने के लिए आलोचना की।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
“सरकारी वकील को भी निष्पक्ष रुख अपनाना चाहिए और आवेदन पर आपत्ति नहीं करनी चाहिए। सरकारी वकील का यह कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि ट्रायल निष्पक्ष तरीके से चलाया जाए। मामला यहीं खत्म नहीं होता। जब 482 याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई तो हाईकोर्ट ने पाया कि सरकारी वकील ने आवेदन का पुरजोर विरोध किया। यहां तक कि हाईकोर्ट ने भी इस महत्वपूर्ण बिंदु को नजरअंदाज कर दिया कि पीडब्लू1 का साक्ष्य अपीलकर्ता और उसके वकील की अनुपस्थिति में दर्ज किया गया।”
ट्रायल कोर्ट ने 27 जुलाई, 2021 को पीडब्लू1 की क्रॉस एक्जामिनेशन बंद कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता ने पीडब्लू1 को वापस बुलाने के लिए मई 2023 में आवेदन किया। प्रक्रियागत देरी के कारण इस मुद्दे को दिसंबर 2024 में संबोधित किया जा रहा है।
कोर्ट ने कहा,
"इस सबका नतीजा यह है कि अब दिसंबर 2024 में पीडब्लू1 को क्रॉस एक्जामिनेशन के लिए वापस बुलाना होगा। हम यह आदेश अपीलकर्ता द्वारा वापस बुलाने के लिए आवेदन करने के 1 साल 6 महीने बाद दे रहे हैं।"
कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों के आदेशों को खारिज कर दिया और ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह ट्रायल कोर्ट द्वारा तय की गई तारीख पर अपीलकर्ता के वकील द्वारा क्रॉस एक्जामिनेशन के लिए पीडब्लू1 को आवश्यक समन जारी करे।
पृष्ठभूमि तथ्य यह मामला अपीलकर्ता से जुड़ा है, जो आईपीसी की धारा 363, 366, 368 और 376 और POCSO Act की धारा 3 और 4 के तहत अपराधों के लिए मुकदमे का सामना कर रहा है। COVID-19 महामारी के दौरान अभियोजन पक्ष द्वारा 15 फरवरी, 2021 को शिकायतकर्ता (पीड़िता के पिता) की मुख्य परीक्षा की गई, जिसे पीडब्लू 1 के रूप में सूचीबद्ध किया गया। परीक्षा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की गई, लेकिन अपीलकर्ता के वकील मौजूद नहीं थे। इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने 27 जुलाई, 2021 को पीडब्लू 1 की क्रॉस एक्जामिनेशन बंद कर दी। इसके बाद अन्य गवाहों, पीडब्लू 2 और पीडब्लू 4 की भी जांच की गई।
16 मई, 2023 को अपीलकर्ता ने शिकायतकर्ता को जिरह के लिए वापस बुलाने के लिए CrPC की धारा 311 के तहत एक आवेदन दायर किया। हालांकि, 30 मई, 2023 को ट्रायल कोर्ट ने इस आवेदन को खारिज किया, जिसमें कहा गया कि सरकारी वकील ने इसका विरोध किया। इसके बाद अपीलकर्ता ने CrPC की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें ट्रायल कोर्ट के आदेश रद्द करने की मांग की गई। हाईकोर्ट ने भी इस आवेदन को खारिज किया, जिसके कारण अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
केस टाइटल- नदीम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य