क्लास 10 और 12 परीक्षा: सुप्रीम कोर्ट राज्य बोर्डों, सीबीएसई और आईसीएसई की फिजिकल परीक्षा रद्द करने की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत

LiveLaw News Network

21 Feb 2022 11:51 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    चीफ ज‌‌स्टिस ऑफ इंडिया ने एक रिट याचिका को तत्काल सूचीबद्ध किए जाने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। याचिका में सभी राज्य बोर्डों, सीबीएसई, आईसीएसई और एनआईओएस द्वारा आयोजित की जाने वाली कक्षा 10 और 12 की फिजिकल परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई थी।

    एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड प्रशांत पद्मनाभन ने सीजेआई एनवी रमना के समक्ष याचिका को तत्काल लिस्टिंग करने का उल्लेख किया। वकील ने कहा, "यह कक्षा 10 और 12 की परीक्षाओं के संबंध में है। महामारी के कारण फिजिकल कक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकीं।"

    सीजेआई ने कहा, "ठीक है। मामले को जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच के समक्ष पेश करें।" उल्लेखनीय है कि जस्टिस खानविलकर की पीठ ने 2021 में बोर्ड परीक्षा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की थी।

    बाल अधिकार कार्यकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय द्वारा दायर वर्तमान रिट याचिका में राज्य बोर्डों, सीबीएसई, आईसीएसई, एनआईओएस को निर्देश यह देने की मांग की गई है कि वे ऑफलाइन एग्जाम के बजाय मूल्यांकन के वैकल्‍पि‌क तरीकों के लिए अधिसूचना जारी करे। उल्‍लेखनीय है कि ये बोर्ड 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन मोड में आयोजित करने जा रहे हैं।

    याचिका में कहा गया है कि राज्य बोर्ड वर्तमान स्थिति पर मूकदर्शक बने हुए हैं और दसवीं और बारहवीं के करोड़ों छात्रों की परीक्षा और अंतिम परिणाम घोषित करने के संबंध में समय पर निर्णय नहीं लिया है।

    कुछ राज्य बोर्डों ने टाइम टेबल घोषित कर दिया है, जबकि कुछ अभी भी कार्रवाई की प्रक्रिया पर चर्चा कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है , "छात्र राज्य सरकार और अन्य बोर्डों के इस तरह के व्यवहार से असंतुष्ट हैं और अपने भविष्य और करियर को लेकर चिंतित हैं ।

    बाल अधिकार कार्यकर्ता अनुभा श्रीवास्तव की ओर से पेश याचिका में आंतरिक मूल्यांकन से असंतुष्ट छात्रों के लिए सुधार परीक्षा आयोजित करने की राहत की मांग भी की है। याचिकाकर्ता ने याचिका में सभी राज्य बोर्डों, सीबीएसई, आईसीएसई और एनआईओएस को प्रतिवादी बनाया है।

    सहाय ने अपनी याचिका में कम्पार्टमेंट के छात्रों सहित छात्रों के मूल्यांकन का फॉर्मूला तय करने और समय सीमा और समय सीमा के भीतर परिणाम घोषित करने के लिए एक समिति के गठन से राहत की भी मांग की है।

    याचिकाकर्ता ने यूजीसी को विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रवेश की तिथि घोषित करने के लिए एक समिति का गठन करने और बारहवीं कक्षा के छात्रों के मूल्यांकन के लिए एक फार्मूला की घोषणा करने का निर्देश देने के लिए भी प्रार्थना की है।

    याचिका में कहा गया है, "सभी राज्यों में छात्र 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने को लेकर बहुत चिंतित हैं क्योंकि पूरे देश में COVID-19 मामलों की वृद्धि दर के साथ-साथ तीसरी लहर की बहुत ज्यादा संभावना है जो छात्रों को बहुत बुरी तरह प्रभावित करेगी, और साथ ही महामारी की स्थिति में पाठ्यक्रम के अपूर्ण होने के कारण भी वे चिंतित हैं। अधिकांश राज्यों में जून-दिसंबर, 2020 की अवधि में लॉकडाउन के दौरान छात्रों को कोई कक्षा नहीं चली है। सभी राज्यों के लगभग 98% कॉलेजों/स्कूलों ने उस अवधि में किसी भी ऑनलाइन कक्षा का आयोजन नहीं किया था। इस मामले को देखते हुए राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के 100 दिनों की ऑफलाइन कक्षा की घोषणा की है और ऑफलाइन कक्षाओं के बाद परीक्षा आयोजित होगी। सरकार ने कहा कि छात्रों को ऑफलाइन कक्षाओं में शामिल होने के लिए "अनापत्ति प्रमाण पत्र" पर हस्ताक्षर करना होगा। हालांकि अधिकांश माता-पिता अपने बच्चे को महामारी के कारण ऑफलाइन कक्षाओं की अनुमति देने में असमर्थ थे।"

    चूंकि मध्य प्रदेश सरकार 17 फरवरी से दसवीं और बारहवीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षा शुरू कर रही है, इसलिए मध्य प्रदेश सरकार को दसवीं और बारहवीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षा आयोजित नहीं करने के निर्देश जारी करने के लिए, वर्तनमान रिट याचिका के अंतिम परिणाम तक तत्काल अंतरिम राहत मांगी गई है।

    केस शीर्षक: अनुभा श्रीवास्तव सहाय बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य

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