'समाज को जाति के आधार पर न बाँटें': महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव मामले में CJI सूर्यकांत

Praveen Mishra

25 Nov 2025 3:33 PM IST

  • समाज को जाति के आधार पर न बाँटें: महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव मामले में CJI सूर्यकांत

    महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में OBC आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने आज महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि समाज को किसी भी हाल में जाति की लाइनों पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए।

    सुनवाई में सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने चिंता जताई कि यदि 50% आरक्षण की सीमा को अनिवार्य रखा गया, तो महाराष्ट्र के कई इलाकों में जहाँ SC-ST आबादी अधिक है, वहाँ केवल SC-ST आरक्षण ही 50% तक पहुँच जाएगा और OBC के लिए कोई स्थान नहीं बचेगा।

    उन्होंने यह भी कहा कि 1931 के बाद से जातिगत जनगणना नहीं हुई है और नई प्रस्तावित जनगणना से OBC समुदाय की वास्तविक जनसंख्या स्पष्ट होगी। इस पर CJI सूर्यकांत ने सवाल उठाया कि OBC को पूरी तरह बाहर रखकर लोकतंत्र कैसे संचालित हो सकता है, जबकि समानांतर रूप से उन्होंने यह भी कहा कि समाज को जातीय आधार पर बांटना उचित नहीं।

    जब CJI ने यह टिप्पणी की, तो जयसिंह ने स्पष्ट किया कि वे केवल अनुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग कर रही हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि CJI सूर्यकांत पहले भी जातिगत विभाजन का विरोध कर चुके हैं; फरवरी में बेंगलुरु अधिवक्ता संघ में SC/ST और पिछड़े वर्गों के वकीलों के लिए आरक्षण पर सुनवाई में उन्होंने कहा था कि बार को जाति या धर्म के आधार पर विभाजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    आज की सुनवाई महाराष्ट्र में 2021 से रुकी स्थानीय निकाय चुनाव प्रक्रिया की पृष्ठभूमि में हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2021 में OBC आरक्षण पर रोक लगाते हुए 'ट्रिपल टेस्ट' पूरा करने की आवश्यकता बताई थी। इसके बाद बंथिया आयोग द्वारा रिपोर्ट देने, और मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा चार महीने के भीतर चुनाव कराने का निर्देश देने के बावजूद राज्य ने आदेश को गलत समझकर 50% सीमा से अधिक आरक्षण की संभावना मान ली। पिछले सप्ताह अदालत ने स्पष्ट किया कि पूर्व-बंथिया स्थिति में चुनाव कराने का निर्देश 50% सीमा पार करने की अनुमति नहीं था। इसी संदर्भ में आज की सुनवाई में CJI ने कहा कि लोकतंत्र में OBC को पूरी तरह बाहर रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, और यह कि समाज को जाति-आधारित विभाजन से दूर रहना चाहिए।

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