सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने नए आपराधिक कानूनों पर टिप्पणी करने से किया इनकार
Shahadat
2 July 2024 4:27 PM IST
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने 1 जुलाई, 2024 से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों के बारे में कुछ भी कहने से इनकार किया। सीजेआई ने कहा कि इन कानूनों से संबंधित मुद्दे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं, इसलिए उन्हें इनके बारे में नहीं बोलना चाहिए।
उन्होंने कहा,
"ये ऐसे मुद्दे हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन हैं, संभवतः अन्य हाईकोर्ट के समक्ष भी। इसलिए मुझे न्यायालय के समक्ष आने वाली किसी भी चीज़ पर नहीं बोलना चाहिए।"
सीजेआई ने यह बात कड़कड़डूमा, शास्त्री पार्क और रोहिणी में तीन न्यायालय भवनों के निर्माण के लिए शिलान्यास समारोह में नए अधिनियमों से संबंधित एक प्रश्न पूछे जाने के बाद कही।
कानून, अर्थात, भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) ने 1 जुलाई, 2024 से भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ले ली। हाल ही में इन आपराधिक कानूनों की व्यवहार्यता का आकलन करने और उनकी पहचान करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी गठित करने के निर्देश जारी करने की मांग करते हुए जनहित याचिका (पीआईएल) सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की गई।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने नए आपराधिक कानूनों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार किया था। कोर्ट ने कहा था कि ये कानून लागू नहीं हैं। 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने नए आपराधिक कानूनों को चुनौती देने वाली एक और जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिका को लापरवाही से तैयार किया गया।
अप्रैल में सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि नए कानून तभी सकारात्मक प्रभाव पैदा करेंगे, जब बुनियादी ढांचे के विकास और फोरेंसिक विशेषज्ञों और जांच अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए आवश्यक निवेश जल्द से जल्द किया जाएगा।