सिविल सेवा परीक्षा: सुप्रीम कोर्ट ने उन अभ्यर्थियों को राहत दी, जिन्हें प्रमाणपत्र जमा नहीं करने के कारण मुख्य परीक्षा से रोका गया था; यूपीएससी से प्रवेश पत्र जारी करने को कहा

Avanish Pathak

13 Sept 2023 3:58 PM IST

  • सिविल सेवा परीक्षा: सुप्रीम कोर्ट ने उन अभ्यर्थियों को राहत दी, जिन्हें प्रमाणपत्र जमा नहीं करने के कारण मुख्य परीक्षा से रोका गया था; यूपीएससी से प्रवेश पत्र जारी करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण फैसले में उन उम्मीदवारों की सहायता की, जिन्हें आगामी यूपीएससी सिविल सर्विस मुख्य परीक्षा, 2023 में उनकी उम्मीदवारी रद्द होने का सामना करना पड़ा था।

    न्यायालय ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी-प्रतिवादी) को आगामी शुक्रवार (15 सितंबर) को होने वाली मुख्य परीक्षा के लिए आठ उम्मीदवारों को प्रवेश पत्र जारी करने का निर्देश दिया। हालांकि यह अंतरिम राहत उनकी याचिकाओं के अंतिम परिणाम के अधीन होगा।

    यूपीएससी ने दो याचिकाकर्ताओं की शैक्षणिक योग्यता के समर्थन में अनंतिम प्रमाणपत्र जमा न करने के कारण उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दी थी। अन्य छह याचिकाकर्ताओं के संबंध में, यूपीएससी ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) प्रमाणपत्रों में कुछ त्रुटियों का हवाला दिया था।

    जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने आदेश दिया, “जहां तक ​​याचिकाकर्ता एक और दो का सवाल है, स्नातक परीक्षा के परिणाम घोषित किए जा चुके हैं और इसलिए इस स्तर पर, क्या वे योग्य होंगे यह एक ऐसा पहलू है जिस पर बाद में विचार की आवश्यकता है।

    यह ध्यान में रखते हुए कि सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 15 सितंबर 2023 को आयोजित होने वाली है, यदि याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई तो उनके हित प्रभावित होंगे। इसे इस याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन बनाते हुए, हम प्रतिवादी को परीक्षा में बैठने के लिए आवश्यक प्रवेश टिकट जारी करने का निर्देश देते हैं।''

    इसी तरह की राहत छह अन्य याचिकाकर्ताओं को भी दी गई, जिनकी उम्मीदवारी ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों में त्रुटियों के कारण खारिज कर दी गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से और एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड तान्या श्री और एडवोकेट गौरव अग्रवाल उपस्थित हुए।

    शुरुआत में, एडवोकेट गौरव अग्रवाल ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता प्रासंगिक समय में छात्र थे और योग्यता परीक्षा के अंतिम वर्ष में थे।

    उन्होंने कहा कि उनके विश्वविद्यालयों द्वारा DAF-I जमा करने के बाद परिणाम घोषित किए गए हैं, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण की है। इसलिए, याचिकाकर्ताओं ने DAF-I भरते समय अपने संबंधित विश्वविद्यालयों द्वारा जारी अपना बोनाफाइड प्रमाण पत्र और एक वचन पत्र प्रस्तुत किया कि जैसे ही उन्हें यह उपलब्ध कराया जाएगा, वे अपनी अंतिम डिग्री जमा कर देंगे।

    उन्होंने आगे कहा कि “सिविल सेवा नियम, 2023 के नियम 3 नोट II के अनुसार, एक उम्मीदवार जो यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा, 2023 के लिए उपस्थित हुआ है, उसका अटेम्‍प्ट गिना जाता है, चाहे वह मुख्य परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त करता हो या नहीं। वर्तमान मामले में, जिन याचिकाकर्ताओं ने प्रारंभिक परीक्षा के लिए विधिवत अर्हता प्राप्त कर ली है और उनके पास मुख्य परीक्षा, 2023 के समय अपेक्षित शैक्षणिक योग्यता है। यदि इस स्तर पर उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी जाती है, तो वे बिना किसी गलती के अपना अटेम्‍प्ट खो देंगे।"

    उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं को इस आधार पर बाहर करना कि उन्होंने नियत तारीख यानी 19 जुलाई, 2023 तक अपनी शैक्षणिक योग्यता का सबूत जमा नहीं किया था, इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना कि याचिकाकर्ताओं के परिणाम DAF-I जमा करने के बाद घोषित किए गए थे- मनमानी होगा।

    ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों में विसंगतियों के मामले में एडवोकेट अग्रवाल ने तर्क दिया कि यूपीएससी द्वारा मामूली त्रुटियों के आधार पर उम्मीदवारों को अस्वीकार करना अनुचित और मनमाना था।

    उन्होंने "याचिकाकर्ता संख्या 8- श्वेता तिवारी का उदाहरण बताया जहां प्रतिवादी ने मनमाने ढंग से इस आधार पर उसकी उम्मीदवारी खारिज कर दी थी कि ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र पर ओवरराइटिंग थी।"

    उन्होंने प्रस्तुत किया कि "सक्षम प्राधिकारी ने स्पष्ट किया था कि ऐसी कोई भी ओवरराइटिंग उनकी ओर से है और याचिकाकर्ता संख्या 8 की कोई गलती नहीं है, फिर भी प्रतिवादी द्वारा उक्त प्रमाणपत्र पर विचार नहीं किया जा रहा है।"

    केस टाइटल: दीपांशु और अन्य बनाम यूपीएससी| प्रणव केशरवानी एवं अन्य बनाम यूपीएससी

    साइटेशन: डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 979/2023|डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 977/2023


    Next Story