'दिल्ली में बाल तस्करी बेकाबू': सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगी रिपोर्ट
Shahadat
12 Aug 2025 10:18 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा कि बाल तस्करी की समस्या को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए, खासकर दिल्ली में, जहां यह अपराध बेकाबू हो गया है। कोर्ट ने दिल्ली में बाल तस्करी के मामलों की वर्तमान स्थिति भी पूछी है।
कोर्ट ने कहा,
"हम केंद्र सरकार से जानना चाहते हैं कि इस अपराध को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए, जो आजकल दिल्ली शहर में बहुत तेज़ी से फैल रहा है। हम दिल्ली में बाल तस्करी के मामलों की वर्तमान स्थिति जानना चाहते हैं।"
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ बाल तस्करी के मामलों में आरोपियों को जमानत देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ दायर आपराधिक अपीलों पर सुनवाई कर रही थी।
अप्रैल में खंडपीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा ऐसे 13 आरोपियों को दी गई जमानत रद्द कर दी थी। हालांकि, इसने हाईकोर्ट के इस दृष्टिकोण को 'ज़मानत देने में विवेकाधिकार का प्रयोग करने में लापरवाही' बताया, लेकिन यह भी सवाल उठाया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने ज़मानत आदेशों को रद्द करने की मांग क्यों नहीं की।
अदालत ने कुछ सामान्य निर्देश दिए, जैसे ऐसे मामलों की शीघ्र सुनवाई और बाल तस्करी के मामलों में लंबित मुकदमों पर हाईकोर्ट से आंकड़े भी मांगे थे। ये मामले नाबालिग बच्चों के अपहरण और बिक्री से जुड़े बाल तस्करी गिरोहों से संबंधित हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें यह देखते हुए ज़मानत दी कि आरोपियों का नाम FIR में नहीं था; नाम का खुलासा सह-अभियुक्त ने किया था, पीड़ितों को उनकी हिरासत से बरामद नहीं किया गया और ज़मानत प्राप्त अन्य सह-अभियुक्तों के साथ समानता थी।
ज़मानत देते समय हाईकोर्ट ने ज़मानत की शर्तें लगाईं कि वे निचली अदालत में पेश होते रहेंगे और सबूतों से छेड़छाड़ या गवाहों पर दबाव नहीं डालेंगे। हालांकि, उनमें से अधिकांश फरार हो गए। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका के बाद उनमें से कुछ को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और उनके ज़मानत आदेश रद्द कर दिए गए।
मामला जब सुनवाई के लिए आया तो सीनियर एडवोकेट और एमिक्स क्यूरी अपर्णा भट्ट ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट ने बाल तस्करी के एक मामले में दो आरोपियों को रिहा कर दिया। इसके बाद अदालत ने निर्देश दिया कि वह यह देखना चाहेगी कि ज़मानत किस आधार पर दी गई। गौरतलब है कि निर्देशों में से एक यह था कि यदि किसी आरोपी का ठिकाना अज्ञात है या वह फरार ह, तो निचली अदालत गैर-ज़मानती वारंट जारी करके उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाएगी।
आगे कहा गया,
"हमें सूचित किया गया कि हाल ही में बाल तस्करी के अपराध में आरोपित कुछ आरोपियों को निचली अदालत द्वारा रिहा किया गया। हम उन ज़मानत आदेशों पर एक नज़र डालना चाहेंगे।"
अदालत अब इस मामले की सुनवाई 18 अगस्त को करेगी।
Case Details: PINKI v THE STATE OF UTTAR PRADESH AND ANR.|MA 729/2025 in Crl.A. No. 1927/2025

