ईडी प्रमुख के कार्यकाल विस्तार को चुनौती | सुप्रीम कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ताओं की राजनीति से सरोकार नहीं

Avanish Pathak

21 March 2023 1:36 PM GMT

  • ईडी प्रमुख के कार्यकाल विस्तार को चुनौती | सुप्रीम कोर्ट ने कहा,   याचिकाकर्ताओं की राजनीति से सरोकार नहीं

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मौखिक रूप से कहा कि ईडी निदेशक एसके मिश्रा को दिए गए तीसरे कार्यकाल विस्तार और सीवीसी संशोधन अधिनियम 2021 के खिलाफ याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं की राजनीतिक संबद्धता से इसका कोई सरोकार नहीं है।

    इससे पहले फरवरी में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लोकस स्टैंडी की कमी के आधार पर याचिकाओं पर प्रारंभिक आपत्ति जताई थी। उन्होंने जोर देकर कहा था कि याचिकाकर्ता उन राजनीतिक दलों के सदस्य हैं, जिनके वरिष्ठ सदस्य मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे है और इस तरह, वे जनहित में काम नहीं कर रहे।

    पीठासीन जज जस्टिस गवई ने कहा,

    "हमें इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि कौन भारतीय जनता पार्टी का है और कौन कांग्रेस का। मेरी प्रस्तुतियां विशुद्ध रूप से कानून पर आधारित हैं। मुझे याचिकाकर्ताओं या व्यक्तिगत मामलों की राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। मैं आपसे उस पहलू को भी तर्क से बाहर करने की अपील करूंगा क्योंकि यह एक कानूनी मुद्दा है।"

    मामले में एमिकस क्यूरी केवी विश्वनाथन ने पिछली सुनवाई में कहा था कि ईडी निदेशक को दिया गया विस्तार और सीवीसी अधिनियम में किए गए संशोधन अवैध हैं। मामले की सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रमनाथ शामिल हैं।

    सॉलिसिटर जनरल की अनुपस्थिति पर बेंच ने नाराजगी जताई

    पीठ ने गुरुवार, 23 मार्च को केंद्र के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित कर दी, हालांकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की अनुपस्थिति के कारण पास-ओवर देने के अनुरोध पर गंभीर असंतोष व्यक्त किया।

    जस्टिस गवई ने कहा,

    'आखिरी दिन हमने साफ कहा था कि यह मामला निर्धारित समय पर शुरू होगा। सॉलिसिटर जनरल ने आश्वासन दिया था कि किसी भी हालत में मामले को स्थगित नहीं किया जाएगा। क्या यह उनका कर्तव्य नहीं है कि वह यहां मौजूदा रहें? यह अदालत के लिए उचित नहीं है।”

    मामले के शुरुआत में बेंच ने याचिकाकर्ताओं के वकील को सॉलिसिटर-जनरल की गैर-मौजूदगी के बावजूद अपनी दलीलें पेश करने की अनुमति देने की इच्छा जताई। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से पेश एडवाकेट कानू अग्रवाल ने कहा कि अदालत में कोई कानून अधिकारी मौजूद नहीं था।

    उस पर जस्टिस गंवई ने पूछा, "हमने ताजा मामलों के बाद इसे पहले आइटम के रूप में रखा। क्या यूनियन ऑफ इंडिया को इतना शिष्टाचार भी नहीं दिखाना चाहिए था कि सुबह 10:30 बजे तक किसी के यहां आने की व्यवस्था कर दें?”

    उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आपके पास कई अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल मौजूद हैं।

    जब अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल एसवी राजू व्यक्तिगत रूप से अदालत कक्ष में आए और समझाया कि मेहता की कुछ 'व्यक्तिगत कठिनाइयां' हैं, जिसके चलते वह अदालत में पेश नहीं हो सकते हैं, तब जाकर पीठ ने भरोसा किया।

    जस्टिस गवई ने मजाक में कहा, "जब भी हम अदालत में सॉलिसिटर-जनरल को देखते हैं, तो हमें यह आभास होता है कि मामले को स्थगित होने की संभावना है।"

    जवाब में राजू ने कहा, "लेकिन आज वह नहीं है।"

    मामला

    मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाने के फैसले को लेकर केंद्र सरकार लंबे समय से राजनीतिक विवाद में फंसी हुई है। मिश्रा को पहली बार नवंबर 2018 में नियुक्त किया गया था। नियुक्ति आदेश के अनुसार, उन्हें 60 वर्ष की आयु तक पहुंचने के दो साल बाद सेवानिवृत्त होना था।

    हालांकि, नवंबर 2020 में, सरकार ने पूर्वव्यापी रूप से आदेश को संशोधित किया, उनका कार्यकाल दो साल से बढ़ाकर तीन साल कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कॉमन कॉज़ बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में पूर्वव्यापी संशोधन की वैधता की जांच करने के लिए आगे बढ़ा था।

    जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने कहा कि विस्तार केवल 'दुर्लभ और असाधारण मामलों' में थोड़े समय के लिए दिया जा सकता है। मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार के कदम की पुष्टि करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने आगाह किया कि निदेशालय के प्रमुख को और कोई विस्तार नहीं दिया जाए।

    नवंबर 2021 में मिश्रा की सेवानिवृत्त‌ि से तीन दिन पहले राष्‍ट्रप‌‌ति ने दो अध्यादेश प्रख्यापित किए, जिनके जर‌िए दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 और केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 में संशोधन किया गया।

    दिसंबर में संसद ने अध्यादेशों को अनुमोदित कर दिया और ये बिलों में परिणत हो गए। जिसके बाद सीबीआई और ईडी, दोनों निदेशकों के कार्यकाल को प्रारंभिक नियुक्ति से पांच वर्ष पूरा होने तक एक बार में एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।

    पिछले साल नवंबर में मिश्रा को एक साल का और विस्तार दिया गया, जिसे अब चुनौती दी गई है।

    केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में हालिया संशोधन को भी कम से कम आठ अलग-अलग जनहित याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस नेता जया ठाकुर, रणदीप सिंह सुरजेवाला, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और पार्टी प्रवक्ता साकेत गोखले शामिल हैं।


    केस टाइटलः जया ठाकुर बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य | Writ Petition (Civil) No. 1106 of 2022

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