कॉलेजियम के प्रस्तावित नामों को केंद्र द्वारा रोका जाना अस्वीकार्य: सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक नियुक्तियों में देरी को लेकर विधि सचिव को नोटिस जारी किया

Shahadat

11 Nov 2022 8:28 AM GMT

  • कॉलेजियम के प्रस्तावित नामों को केंद्र द्वारा रोका जाना अस्वीकार्य: सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक नियुक्तियों में देरी को लेकर विधि सचिव को नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने जजों के रूप में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुमोदित नामों को मंजूरी देने में देरी को लेकर दायर याचिका पर शुक्रवार को केंद्रीय विधि सचिव को नोटिस जारी किया।

    जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका की पीठ ने मामले पर विचार करते हुए केंद्र के खिलाफ कॉलेजियम द्वारा अनुमोदित नामों को वापस लेने के खिलाफ कड़ी आलोचनात्मक टिप्पणी की।

    पीठ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए 11 नामों को केंद्र के खिलाफ एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु द्वारा 2021 में दायर अवमानना ​​​​याचिका पर विचार कर रही थी। एसोसिएशन ने तर्क दिया कि केंद्र का आचरण पीएलआर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड बनाम महानदी कोलफील्ड्स प्राइवेट लिमिटेड के निर्देशों का घोर उल्लंघन है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए नामों को केंद्र द्वारा 3 से 4 सप्ताह के भीतर मंजूरी दे दी जानी चाहिए।

    पीठ ने कहा कि कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए 11 नामों के मामलों में केंद्र ने बिना मंजूरी दिए या आरक्षण बताते हुए उन्हें वापस किए बिना फाइलों को लंबित रखा और अनुमोदन को रोकने की ऐसी प्रथा "अस्वीकार्य" है।

    पीठ ने आदेश में कहा,

    "सरकार के पास 11 मामले लंबित हैं, जिन्हें कॉलेजियम ने मंजूरी दे दी, लेकिन वे नियुक्तियों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

    पीठ ने कहा कि नामों को मंजूरी देने में देरी से अनुशंसित व्यक्ति जजशिप के लिए अपनी सहमति वापस ले सकते हैं और यह प्रतिष्ठित व्यक्तियों की व्यवस्था से वंचित हो सकता है।

    पीठ ने आदेश में कहा,

    "नामों को होल्ड पर रखना स्वीकार्य नहीं है। यह इन लोगों को अपनी सहमति वापस लेने के लिए मजबूर करने के लिए एक तरह का उपकरण बनता जा रहा है।"

    याचिका में उद्धृत उदाहरणों में से सीनियर एडवोकेट आदित्य सोंधी का है, जिनकी कर्नाटक हाईकोर्ट में पदोन्नति सितंबर 2021 में दोहराई गई। फरवरी, 2022 में सोंधी ने न्याय के लिए अपनी सहमति वापस ले ली, क्योंकि उनकी नियुक्ति के संबंध में कोई अनुमोदन नहीं है।

    कॉलेजियम द्वारा दूसरी पुनरावृत्ति के बाद नियुक्ति का पालन करना होगा

    कोर्ट ने जोर देकर कहा कि दूसरी बार दोहराने के बाद केंद्र के सामने एकमात्र विकल्प नियुक्ति आदेश जारी करना है। कुछ मामलों में केंद्र ने पुनर्विचार की मांग की। लेकिन दूसरी बार दोहराने के बावजूद, सरकार ने नामों को मंजूरी नहीं दी और व्यक्तियों ने अपने नाम वापस ले लिए और कोर्ट ने प्रतिष्ठित व्यक्ति को बेंच पर रखने का अवसर खो दिया।

    पीठ ने स्पष्ट किया कि वह कानून सचिव को 'साधारण नोटिस' जारी कर रही है। पीठ ने आदेश में उल्लेख किया कि कलकत्ता हाईकोर्ट के लिए दोहराए गए नामों में से जयतोष मजूमदार का निधन हो गया।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि केंद्र ने पिछले 5 सप्ताह से चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने की सिफारिश पर अभी तक कार्रवाई नहीं की।

    हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम को 'अपारदर्शी' बताते हुए तीखी टिप्पणी की थी। मंत्री ने कहा कि जजों की नियुक्ति करना सरकार का काम है।

    याचिका में निम्नलिखित ग्यारह नामों को विशेष रूप से उजागर किया गया,

    1. जयतोष मजूमदार (एडवोकेट)

    कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित; पहली बार 24 जुलाई, 2019 को अनुशंसित; 1 सितंबर, 2021 को नाम दोहराया गया।

    2. अमितेश बनर्जी (एडवोकेट)

    कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित; पहली बार 24 जुलाई, 2019 को अनुशंसित; 1 सितंबर, 2021 को नाम दोहराया गया।

    3. राजा बसु चौधरी (एडवोकेट)

    कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित; पहली बार 24 जुलाई, 2019 को अनुशंसित; 1 सितंबर, 2021 को नाम दोहराया गया।

    4. लपिता बनर्जी (एडवोकेट)

    कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित; पहली बार 24 जुलाई, 2019 को अनुशंसित; 1 सितंबर, 2021 को नाम दोहराया गया।

    5. मोक्ष काज़मी (खजुरिया) (एडवोकेट)

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित; पहली बार 15 अक्टूबर, 2019 को अनुशंसित; नाम 9 सितंबर, 2021 को दोहराया गया।

    6. राहुल भारती (एडवोकेट)

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित; पहली बार 2 मार्च, 2021 को सिफारिश की गई; 1 सितंबर, 2021 को नाम दोहराया गया।

    7. नागेंद्र रामचंद्र नाइक (एडवोकेट)

    कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित; पहली बार 3 अक्टूबर, 2019 को अनुशंसित; नाम पहली बार 2 मार्च, 2021 को दोहराया गया; 1 सितंबर, 2021 को दूसरी बार नाम दोहराया गया।

    8. आदित्य सोंधी (एडवोकेट)

    कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित; पहली बार 4 फरवरी, 2021 को अनुशंसित; 1 सितंबर, 2021 को नाम दोहराया गया।

    9. जे उमेश चंद्र शर्मा (न्यायिक अधिकारी)

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित; पहली बार 4 फरवरी, 2021 को अनुशंसित; नाम 24 अगस्त, 2021 को दोहराया गया।

    10. सैयद वाइज़ मियां (न्यायिक अधिकारी)

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित; पहली बार 4 फरवरी, 2021 को अनुशंसित; नाम 24 अगस्त, 2021 को दोहराया गया।

    11. शाक्य सेन (एडवोकेट)

    कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित; पहली बार 24 जुलाई, 2019 की सिफारिश की गई; नाम 8 अक्टूबर, 2021 को दोहराया गया।

    यह आगे प्रस्तुत किया गया कि केंद्र सरकार का आचरण सुभाष शर्मा, द्वितीय न्यायाधीशों के मामले, तीसरे न्यायाधीशों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के सीधे उल्लंघन में है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अनुशंसित नामों की शीघ्र नियुक्ति के लिए बार-बार वकालत की।

    केस टाइटल: एडवोकेट संघ बेंगलुरु बनाम बरुन मित्रा, सचिव (न्याय)

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