केंद्र सरकार का 'Udaipur Files' फिल्म में और बदलाव करने का आदेश , सुप्रीम कोर्ट ने तय की रिलीज़ की डेट
Shahadat
21 July 2025 4:02 PM IST

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने विवादास्पद फिल्म "उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर" के लिए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र में संशोधन की मांग वाली याचिकाओं पर आदेश पारित किया।
केंद्र के आदेश के अनुसार, फिल्म की विषय-वस्तु में छह बदलाव किए गए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है जिसने इन बदलावों का सुझाव दिया था।
इन बदलावों में विस्तृत अस्वीकरण शामिल है, जो स्पष्ट करता है कि फिल्म कलात्मक कृति है और यह किसी भी समुदाय की हिंसा या मानहानि का समर्थन नहीं करती है। इसके अलावा, क्रेडिट कार्ड में बदलाव, सऊदी अरब शैली की पगड़ी वाले एआई-जनित दृश्य का संशोधन, "नूतन शर्मा" नाम को नए नाम से बदलना, नूतन शर्मा के उस संवाद को हटाना, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने धार्मिक ग्रंथों में जो लिखा है, वही कहा है और हाफ़िज़ और मकबूल के पात्रों के बीच हुई बातचीत को हटाना शामिल है।
केंद्र के आदेश पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी। सभी पक्षकारों को केंद्र के आदेश पर अपनी आपत्तियां दर्ज कराने की स्वतंत्रता दी गई। अगली सुनवाई तक फिल्म की रिलीज़ पर रोक रहेगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया कि इसमें और कोई बदलाव करना अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ दो याचिकाओं पर विचार कर रही थी - पहली, कन्हैया लाल तेली हत्याकांड (जिस पर यह फिल्म आधारित है) के आरोपी द्वारा दायर रिट याचिका, और दूसरी, फिल्म के निर्माताओं द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने के खिलाफ दायर याचिका।
गौरतलब है कि पिछली तारीख (16 जुलाई) को इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि केंद्र सरकार उस दिन दोपहर 2:30 बजे फिल्म के CBFC सर्टिफिकेशन के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली थी, दोनों मामलों की सुनवाई स्थगित कर दी गई थी। मामले को पुनः सूचीबद्ध करते हुए न्यायालय ने कहा कि वह उम्मीद करता है कि केंद्र की समिति फिल्म निर्माताओं द्वारा व्यक्त की गई तात्कालिकता को देखते हुए "बिना समय गंवाए" अपना निर्णय लेगी।
सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने कहा कि सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952 की धारा 6 केंद्र सरकार को किसी फिल्म का प्रमाणन रद्द करने का अधिकार देती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने केवल रिट याचिकाकर्ताओं को ही वैधानिक उपाय का लाभ उठाने की अनुमति दी थी।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सुविधा का संतुलन फिल्म की रिलीज़ का विरोध करने वाले पक्षकारों के पास है, क्योंकि अगर फिल्म रिलीज़ हो जाती है तो उनकी याचिकाएं निष्फल हो जाएंगी। हालांकि, देरी के कारण निर्माता को हुए किसी भी नुकसान की आर्थिक रूप से भरपाई की जा सकती है।
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता, जिन्हें केंद्र के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करने की अनुमति दी गई) की ओर से पेश हुए।
सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी, अभियुक्त मोहम्मद जावेद की ओर से पेश हुईं।
सीनियर एडवोकेट गौरव भाटिया, फिल्म निर्माता जानी फ़ायरफ़ॉक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश हुए। सुनवाई के दौरान, भाटिया ने पीठ को बताया कि उन्होंने लाइव लॉ में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा फिल्म की रिलीज़ के खिलाफ पारित एक आदेश के बारे में पढ़ा था। उन्होंने हाईकोर्ट द्वारा आदेश पारित करने पर आपत्ति जताई, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मामले पर विचार कर रहा है। सिब्बल ने कहा कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केवल इतना कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश लागू होगा।
जस्टिस कांत ने कहा कि अगली सुनवाई की तारीख पर सुप्रीम कोर्ट जो निर्णय लेगा, वही अंततः मान्य होगा।
Case Title:
(1) MOHAMMED JAVED Versus UNION OF INDIA AND ORS., W.P.(C) No. 647/2025
(2) JANI FIREFOX MEDIA PVT. LTD v. MAULANA ARSHAD MADANI AND ORS, SLP(C) No. 18316/2025

