महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए केंद्र सरकार ने लोकसभा में बिल पेश किया

LiveLaw News Network

21 Dec 2021 4:44 PM IST

  • महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए केंद्र सरकार ने लोकसभा में बिल पेश किया

    केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को लोकसभा में "बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021" पेश किया, जो सभी धर्मों में महिलाओं के लिए विवाह की आयु 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रावधान का प्रस्ताव करता है।

    मंत्री ने कहा कि विधेयक भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम 1872, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम 1936, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम 1937, विशेष विवाह अधिनियम 1954, हिंदू विवाह अधिनियम 1955, विदेशी विवाह अधिनियम 1969 में विवाह के पक्षकारों की आयु के संबंध में दिए गए प्रावधानों में संशोधन करेगा।

    सदन में विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई कि विधेयक को कम समय सूचना (शॉर्ट नोटिस) पर पेश किया गया है। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस मामले को केवल पूरक सूची में शामिल किया गया था और सरकार ने बिना उचित परामर्श के जल्दबाजी में विधेयक पेश किया। उन्होंने मांग की कि विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाए। टीएमसी सांसद सौगत रॉय और आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने भी इसी तरह की आपत्ति जताई।

    इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद ईटी मोहम्मद बशीर ने कहा कि विधेयक "अवांछित, असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है"। उन्होंने कहा कि विधेयक पर्सनल लॉ पर हमला है।

    एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है। अगर कोई 18 साल की उम्र में मतदान कर सकता है तो कोई व्यक्ति इसी उम्र में शादी क्यों नहीं कर सकता? उन्होंने कहा कि पोक्सो एक्ट के तहत 18 साल की उम्र सेक्स के लिए सहमति की उम्र है और इस प्रकार शादी की उम्र बढ़ाना अनुचित है।

    द्रमुक सांसद कनिमोझी और राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने मांग की कि विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाए। उन्होंने शॉर्ट नोटिस पर बिल पेश करने के लिए सरकार की आलोचना की।

    सुले ने कहा,

    "यह दूसरी या तीसरी बार है जब वे आक्रामक रूप से बिल लाए। विपक्ष से किसी से भी सलाह नहीं ली गई। मैं इस प्रथा की निंदा करती हूं। सभी हितधारकों से परामर्श किया जाना चाहिए।"

    कनिमोझी ने कहा,

    "ऐसे लोग हैं जो विधेयक का समर्थन करते हैं, लेकिन इसका बहुत विरोध भी है। इस तरह के एक महत्वपूर्ण विधेयक को स्थायी समिति या प्रवर समिति में भेजना चाहिए और उन्हें नागरिक समाज की राय लेनी होगी और विधेयक लाना होगा।

    सदन में जवाब में मंत्री ईरानी ने कहा कि शादी की उम्र सभी धर्मों में एक समान होनी चाहिए और विधेयक को महिलाओं को समान अधिकार देने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए एक "ऐतिहासिक कदम" करार दिया।

    मंत्री ने कहा,

    "सरकार की ओर से मैं अनुरोध करूंगी कि इस (विधेयक) को स्थायी समिति के पास भेजा जाए।"

    संक्षिप्त चर्चा के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पेश करने की अनुमति दी

    केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह बुधवार को महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

    इस बदलाव को अमल में लाने के लिए विवाह की उम्र को नियंत्रित करने वाले व्यक्तिगत कानूनों जैसे बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006, विशेष विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 जैसे व्यक्तिगत कानूनों में संशोधन के लिए संसद में एक कानून पेश करने की आवश्यकता होगी। वर्तमान में, हिंदू सिखों, जैन और बौद्ध के लिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दुल्हन की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और दूल्हे के लिए 21 वर्ष निर्धारित है; इस्लाम में, पर्सनल लॉ में कहा गया है कि प्यूबर्टी के बाद नाबालिग को विवाह योग्य उम्र का माना जाता है। विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 भी क्रमशः महिलाओं और पुरुषों के लिए विवाह के लिए सहमति की न्यूनतम आयु 18 और 21 वर्ष निर्धारित करते हैं।

    2020 में जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स ने मातृ मृत्यु दर को कम करने और पोषण स्तर में सुधार के मुद्दे की जांच के लिए सिफारिश की थी कि महिलाओं और पुरुषों की शादी की उम्र को एक समान किया जाए। इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं और पुरुषों के लिए शादी की एक समान उम्र की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया था।

    इसने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 (iii), विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 4 (सी), बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 की धारा 2 (ए), भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 की धारा 60(1) और पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 की धारा 3(1)(सी) के तहत विवाह की अलग-अलग उम्र को चुनौती देने वाली याचिका को भी स्वीकार किया था।

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