सेंट्रल विस्टा परियोजना : सुप्रीम कोर्ट ने भूमि उपयोग को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टाली, फैसले के बाद सूचीबद्ध होगी

LiveLaw News Network

14 Dec 2020 7:41 AM GMT

  • सेंट्रल विस्टा परियोजना : सुप्रीम कोर्ट ने भूमि उपयोग को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टाली, फैसले के बाद सूचीबद्ध होगी

    सेंट्रल विस्टा परियोजना को चुनौती देने के संबंध में दाखिल एक अन्य याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को फिलहाल टाल दिया। इस याचिका में "भूमि उपयोग में बदलाव" को चुनौती दी गई है।

    सोमवार को न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ता राजीव सूरी के वकील को कहा कि यह मामला यहां लंबित है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत से नोटिस जारी करने का आग्रह किया।

    लेकिन पीठ ने कहा,

    "आप क्यों आग्रह कर रहे हैं? आप जानते हैं कि मामला लंबित है।"

    कोर्ट ने कहा कि पहले याचिका में फैसले के बाद इस याचिका को सूचीबद्ध किया जाएगा। दरअसल सेंट्रल विस्टा की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर अदालत ने 5 नवंबर को निर्णय सुरक्षित रखा था।

    इस याचिका में डीडीए के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है जिसमें यहां भूमि उपयोग बदलते हुए आवासीय कर दिया गया था।

    सात दिसंबर को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना के संबंध में संरचनाओं का निर्माण या तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए।

    न्यायालय ने कहा कि केंद्र परियोजना की कागजी कार्रवाई और 10 दिसंबर को नए संसद भवन के शिलान्यास समारोह के साथ आगे बढ़ सकता है, लेकिन निर्माण या तोड़फोड़ कार्यों को अंजाम नहीं दे सकता।

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर निर्माण परियोजनाओं के साथ "आक्रामक" तरीके से आगे बढ़ने पर नाराज़गी व्यक्त की थी जबकि केंद्रीय विस्टा परियोजना की वैधता का मुद्दा लंबित है।

    न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था,

    "हमने सोचा कि हम एक विवेकपूर्ण मुकदमेबाज के साथ काम कर रहे हैं और सम्मान दिखाया जाएगा। सिर्फ इसलिए कि कोई रोक नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर चीज के साथ आगे बढ़ सकते हैं।"

    पीठ ने कहा था कि उसने सार्वजनिक क्षेत्र में कुछ घटनाक्रमों को नोटिस करने के बाद इस दिशा निर्देश के लिए मामला सूचीबद्ध किया।

    गौरतलब है कि नए संसद भवन के लिए 'भूमिपूजन' समारोह 10 दिसंबर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। इसके अलावा, केंद्रीय विस्टा परियोजना के संबंध में पेड़ों को काटने और संरचनाओं को हटाने के पिछले हफ्ते खबरें आईं थीं।

    एसजी तुषार मेहता ने कहा था,

    "मेरी ईमानदारी से माफी मांगता हूं। मैं एक बयान दे सकता हूं कि कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ों की कटाई नहीं होगी। नींव का पत्थर रखा जाएगा। लेकिन, कोई शारीरिक परिवर्तन नहीं होगा।"

    कोर्ट ने कहा था,

    "कागजी कार्रवाई के साथ आप आगे बढ़ सकते हैं। लेकिन, एक बार जब आप संरचना बदलते हैं, तो इसे बहाल करना मुश्किल होगा।"

    न्यायालय ने अंततः एसजी के बयान को दर्ज करते हुए एक आदेश पारित किया कि कोई निर्माण गतिविधियां नहीं होंगी।

    "इस मामले को स्वत: संज्ञान लेकर सूचीबद्ध किया गया था और एसजी के साथ बातचीत करने के बाद, न्यायालय आदेश दे रहा है। एसजी ने बयान दिया है कि संबंधित स्थलों पर कोई निर्माण या विध्वंस नहीं होगा, या पेड़ों की कटाई नहीं होगी; इसे फिलहाल ठंडे बस्ते भी रखा जाएगा। एसजी के बयान को रिकॉर्ड पर सूचीबद्ध करें। हम उपरोक्त के मद्देनज़र स्पष्ट करते हैं कि 10 दिसंबर को निर्धारित शिलान्यास के निर्धारित कार्यक्रम को जारी रखने सहित प्राधिकरण किसी भी तरीके से साइट में बदलाव किए बिना अन्य औपचारिक प्रक्रियाओं को करने के लिए स्वतंत्र होगा।"

    पीठ ने 20,000 करोड़ रुपये की सेंट्रल विस्टा परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई की। ये योजना संसद, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसी संरचनाओं द्वारा चिह्नित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में लगभग 86 एकड़ भूमि के नवीकरण और पुनर्विकास से जुड़ी है। पांच नवंबर को पीठ ने परियोजना की वैधता पर फैसला सुरक्षित रखा था।

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