'मद्रास हाई कोर्ट में कुछ तो गड़बड़ है': करूर भगदड़ मामले में हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

12 Dec 2025 1:27 PM IST

  • मद्रास हाई कोर्ट में कुछ तो गड़बड़ है: करूर भगदड़ मामले में हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट

    करूर भगदड़ मामले में मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की भेजी गई रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि हाई कोर्ट में "कुछ गड़बड़" है।

    जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने निर्देश दिया कि रिपोर्ट पार्टियों के वकीलों के साथ शेयर की जाए और उनसे जवाब मांगा जाए।

    बता दें, 27 सितंबर को तमिलनाडु में एक्टर विजय की पॉलिटिकल पार्टी TVK की एक रैली के दौरान हुई भगदड़ की इंडिपेंडेंट जांच की मांग करने वाली पिटीशन की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट के दखल देने के तरीके पर सवाल उठाए थे।

    सबसे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई थी कि चेन्नई में हाई कोर्ट की प्रिंसिपल बेंच सिर्फ स्टेट पुलिस ऑफिसर वाली SIT बनाने का निर्देश कैसे दे सकती थी, जबकि करूर मदुरै बेंच के जूरिस्डिक्शन में आता था। साथ ही यह देखते हुए कि चेन्नई बेंच में फाइल की गई याचिका सिर्फ़ पॉलिटिकल रैलियों के लिए SOP बनाने की मांग कर रही थी, कोर्ट ने पूछा कि उस रिट याचिका में SIT के लिए निर्देश कैसे पास किया जा सकता था। इसलिए 13 अक्टूबर को CBI जांच के लिए पास किए गए अंतरिम ऑर्डर में कोर्ट ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से एक रिपोर्ट मांगी थी जिसमें बताया गया हो कि चेन्नई बेंच ने स्थिति से कैसे निपटा।

    रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट देखने के बाद जस्टिस माहेश्वरी ने कहा,

    "हाईकोर्ट में कुछ गलत हो रहा है। हाईकोर्ट में जो हो रहा है वह सही नहीं है...रजिस्ट्रार जनरल ने एक रिपोर्ट भेजी है।"

    राज्य की ओर से सीनियर एडवोकेट पी विल्सन ने कहा,

    "हमारे हाईकोर्ट में कोर्ट के सामने आने वाले किसी भी मुद्दे पर वे ऑर्डर पास करते हैं..."

    जस्टिस माहेश्वरी ने कमेंट किया,

    "अगर कोई प्रैक्टिस गलत है..."

    बेंच ने फैसले में बदलाव की अर्जी ठुकराई

    CBI जांच का आदेश देने वाले अपने फैसले के पैरा 33 में 'नेटिव' शब्द के इस्तेमाल के खिलाफ बेंच के सामने एक ओरल अर्जी दी गई। इस फैसले के तहत जांच की निष्पक्षता को लेकर पार्टियों की चिंताओं को दूर करने के लिए कोर्ट ने CBI जांच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अजय रस्तोगी की अगुवाई में 3 सदस्यों की सुपरवाइजरी कमेटी बनाई। जस्टिस रस्तोगी को कमेटी के दूसरे सदस्यों के तौर पर दो सीनियर IPS अधिकारियों को चुनने के लिए कहा गया, जो इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस के रैंक से नीचे के नहीं हों, जो तमिलनाडु कैडर के हो सकते हैं, लेकिन तमिलनाडु के मूल निवासी नहीं हों।

    बेंच ने शुक्रवार को अपना फैसला बदलने से इनकार कर दिया। इसने केके रमेश नाम के एक व्यक्ति की फाइल की गई नई याचिका पर नोटिस भी जारी किया।

    सीनियर एडवोकेट पी विल्सन (राज्य की ओर से) ने राज्य द्वारा नियुक्त कमीशन को दिए गए स्टे के बारे में बताया। विल्सन ने भरोसा दिलाया कि राज्य कमीशन CBI जांच में दखल नहीं देगा और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सिर्फ सुझाव देगा। हालांकि, बेंच ने नोटिस जारी नहीं किया और न ही अपना अंतरिम आदेश रद्द किया।

    अब तक क्या हुआ?

    13 अक्टूबर को कोर्ट ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन (CBI) से करूर में हुई भगदड़ की जांच का आदेश दिया। यह घटना 27 सितंबर को एक्टर विजय की पॉलिटिकल पार्टी, तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) की रैली के दौरान हुई थी, जिसमें 41 लोगों की जान चली गई थी। कोर्ट ने पहली नज़र में देखा कि मामले के पॉलिटिकल पहलू, साथ ही राज्य पुलिस के बड़े अधिकारियों द्वारा मीडिया में की गई टिप्पणियां, लोगों के मन में निष्पक्षता और फेयर जांच पर शक पैदा कर सकती हैं।

    बेंच ने तमिलनाडु राज्य को अपना काउंटर-एफिडेविट फाइल करने के लिए आठ हफ़्ते का समय दिया, जिसके तहत सरकार ने हाल ही में एक एफिडेविट फाइल किया, जिसमें इस हादसे के लिए एक्टर-पॉलिटिशियन विजय की लीडरशिप वाली TVK पार्टी के ऑर्गनाइज़र और कैडर की कई "लापरवाह और बिना तालमेल वाली कार्रवाइयों" को ज़िम्मेदार ठहराया गया। कोर्ट ने CBI जांच के लिए दिए गए अंतरिम आदेश को भी रद्द करने की मांग की।

    यह अंतरिम आदेश TVK और दूसरी पार्टियों की तरफ से फाइल की गई याचिका पर पास किया गया था।

    Case Details:

    TAMILAGA VETTRI KAZHAGAM v P.H. DINESH AND ORS.|1501 Diary No. 58048-2025

    PANNEERSELVAM PITCHAIMUTHU v THE UNION OF INDIA AND ORS|Diary No. 57588-2025

    S PRABAKARAN v THE STATE OF TAMIL NADU AND ORS|W.P.(Crl.) No. 412/2025

    SELVARAJ P A. v THE STATE OF TAMIL NADU AND ORS|W.P.(Crl.) No. 413/2025

    G S MANI v. GOVERNMENT OF TAMIL NADU AND ORS|SLP(Crl) No. 16081/2025

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