क्या एक ज़िले में एक से ज़्यादा बार एसोसिएशन हो सकते हैं? नीलगिरी ज़िला बार एसोसिएशन की याचिका पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

11 Oct 2025 7:51 PM IST

  • क्या एक ज़िले में एक से ज़्यादा बार एसोसिएशन हो सकते हैं? नीलगिरी ज़िला बार एसोसिएशन की याचिका पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नीलगिरी ज़िला बार एसोसिएशन द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल को नीलगिरी महिला वकील संघ द्वारा मान्यता के लिए दायर आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया गया था।

    याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट वी मोहना ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ को बताया कि एक ही ज़िले में महिला वकीलों के लिए अलग से एक बार एसोसिएशन की आवश्यकता नहीं है।

    उन्होंने तर्क दिया कि ज़िला छोटा है। वर्तमान एसोसिएशन में केवल 250 सदस्य हैं, इसलिए इसे और विभाजित किया जा सकता है और छोटे समूहों के लिए और एसोसिएशन बनाए जा सकते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह मांग केवल चार महिला वकीलों द्वारा उठाई गई है, जो कुछ मुद्दों पर असंतुष्ट हैं, जिनमें से एक के ख़िलाफ़ पहले से ही हाईकोर्ट में अनुशासनात्मक कार्यवाही चल रही है।

    खंडपीठ ने मामले में नोटिस जारी करते हुए टिप्पणी की कि प्रतिवादी को भी अपना पक्ष रखने दें।

    खंडपीठ अब इस मामले की सुनवाई 4 सप्ताह बाद करेगी।

    मामले की पृष्ठभूमि

    3 सितंबर को मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु और पुडुचेरी की बार काउंसिल को नीलगिरी की महिला वकील संघ द्वारा मान्यता के लिए दायर आवेदन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।

    जस्टिस एमएस रमेश और जस्टिस वी लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ ने कहा कि बार काउंसिल का यह विचार कि एक जिले में केवल एक ही एसोसिएशन को मान्यता दी जा सकती है, गलत है और कल्याण निधि नियमों के विपरीत है, जिसमें स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि बार काउंसिल एक से अधिक बार एसोसिएशन को मान्यता दे सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि नियम एक से अधिक बार एसोसिएशन को मान्यता देने पर रोक नहीं लगाते।

    इस प्रकार, कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल का निर्णय किसी भी स्पष्ट अंतर पर आधारित नहीं है और कल्याण निधि नियमों के नियम 3(4) का उल्लंघन करता है।

    महिला वकील संघ ने तमिलनाडु वकील कल्याण निधि अधिनियम 1987 की धारा 13 के तहत एसोसिएशन की मान्यता और रजिस्ट्रेशन के लिए उनके आवेदन को बार काउंसिल द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

    महिला संघ ने दलील दी थी कि वह तमिलनाडु सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 10 के तहत सोसायटी रजिस्ट्रार की फाइल में रजिस्टर्ड है। इस प्रकार, यह तर्क दिया गया कि यह संघ नीलगिरी जिले में कार्यरत महिला वकीलों द्वारा गठित कानूनी रूप से गठित निकाय है, जिसका उद्देश्य महिला वकीलों के हितों की रक्षा करना और उनकी भलाई सुनिश्चित करना है। यह तर्क दिया गया कि बार काउंसिल ने मान्यता और रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन को मनमाने ढंग से खारिज किया और उसके द्वारा किया गया पूर्व निरीक्षण और जांच कानून के अनुरूप नहीं है।

    Case Details: THE NILGIRIS DISTRICT BAR ASSOCIATION Versus WOMEN LAWYERS ASSOCIATION OF NILGIRIS AND ORS.| SLP(C) No. 27691/2025

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