क्या लोकपाल हाईकोर्ट जज के खिलाफ शिकायत पर विचार कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल को सुनवाई करेगा

Shahadat

18 March 2025 5:49 AM

  • क्या लोकपाल हाईकोर्ट जज के खिलाफ शिकायत पर विचार कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल को सुनवाई करेगा

    सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जज के खिलाफ शिकायत पर विचार करने के लोकपाल के निर्णय के खिलाफ स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई मंगलवार (18 मार्च) को 15 अप्रैल तक स्थगित की।

    जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अभय एस ओक की स्पेशल बेंच ने सीनियर एडवोकेट रंजीत कुमार को शिकायतकर्ता के दृष्टिकोण से न्यायालय की सहायता करने के लिए नियुक्त किया, जिन्होंने लोकपाल के समक्ष जज के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

    शिकायतकर्ता ने पीठ के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर प्रस्तुत किया कि उन्होंने अपनी लिखित दलीलें दायर की। जब पीठ ने शिकायतकर्ता से पूछा कि क्या उन्हें वकील की सहायता की आवश्यकता है तो उन्होंने उत्तर दिया कि वे स्वयं बहस कर सकते हैं। फिर भी पीठ ने सीनियर एडवोकेट रंजीत कुमार को एमिक्स क्यूरी नियुक्त करने का निर्णय लिया।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और बीएच मार्लापल्ले लोकपाल के अधिकार क्षेत्र के खिलाफ दलीलें प्रस्तुत कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि निष्पक्ष निर्णय के लिए उसे वैकल्पिक दृष्टिकोण की भी आवश्यकता होगी।

    एस.जी. तुषार मेहता ने कहा कि यह मुद्दा केवल कानून का प्रश्न है और लोकपाल अधिनियम से ही यह स्पष्ट है कि निकाय को शिकायत पर विचार करने का कोई अधिकार नहीं है।

    एस.जी. ने कहा,

    "लोकपाल अधिनियम की केवल एक धारा की जांच की आवश्यकता है।"

    जस्टिस गवई ने यह भी स्पष्ट किया कि पीठ केवल अधिकार क्षेत्र के प्रश्न पर विचार करेगी, न कि जज के खिलाफ आरोपों के गुण-दोष पर।

    लोकपाल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना हलफनामा भी दाखिल किया, जिसके बारे में एस.जी. ने कहा कि यह "आदेश की पुनरावृत्ति" है।

    इससे पहले केंद्र सरकार, लोकपाल के महापंजीयक और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने लोकपाल के आदेश पर रोक लगा दी थी।

    जस्टिस गवई ने लोकपाल के तर्क पर टिप्पणी करते हुए कहा,

    "यह बहुत परेशान करने वाली बात है।"

    इसके अलावा, जस्टिस गवई और जस्टिस ओक ने कहा था कि संविधान के लागू होने के बाद से सभी हाईकोर्ट जज संवैधानिक अधिकारी हैं और उन्हें केवल वैधानिक अधिकारी नहीं माना जा सकता (जैसा कि लोकपाल ने माना है)।

    केस टाइटल: भारत के लोकपाल द्वारा पारित दिनांक 27/01/2025 के आदेश और सहायक मुद्दों के संबंध में, एसएमडब्लू (सी) नंबर 2/2025

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