'क्या हाईकोर्ट टाउन प्लानर बन गया है?", सुप्रीम कोर्ट ने अमरावती कैपिटल सिटी को छह महीने के भीतर विकसित करने के आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगाई

Avanish Pathak

29 Nov 2022 2:15 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र-प्रदेश की तीन राजधानियों पर हो रहे विवाद संबंधित याचिका में सोमवार को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित कुछ समयबद्ध निर्देशों पर रोक लगा दी।

    हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य को अमरावती कैपिटल सिटी और राजधानी क्षेत्र का निर्माण और विकास छह महीने के भीतर करने का निर्देश दिया था।


    जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीव नागरत्ना
    ने सुनवाई की अगली तारीख तक हाईकोर्ट के निर्देश पर स्पष्ट रूप से रोक लगा दी।

    -लैंड पूलिंग नियमावली, 2015 के नियम 12(6) के साथ पठित एपीसीआरडीए अधिनियम की धारा 58 के संदर्भ में इस आदेश की तिथि से एक माह के भीतर राज्य और एपीसीआरडीए को अमरावती राजधानी शहर और क्षेत्र में सड़क, पेयजल, जल निकासी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए विकास और बुनियादी ढांचे की प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया गया है।

    -राज्य और एपीसीआरडीए को एपीसीआरडीए अधिनियम की धारा 61 के अनुसार टाउन प्लानिंग योजनाओं को पूरा करने का निर्देश दिया गया है।

    -राज्य को छह महीने के भीतर अमरावती राजधानी शहर और राजधानी क्षेत्र का निर्माण और विकास करने का निर्देश दिया गया है....

    -राज्य और एपीसीआरडीए अमरावती राजधानी क्षेत्र में भू-स्वामियों से संबंधित पुनर्गठित भूखंडों को अमरावती कैपिटल सिटी में आवास के लिए उपयुक्त बनाने के लिए पहुंच मार्ग, पेयजल, प्रत्येक भूखंड के लिए बिजली कनेक्शन, जल निकासी आदि प्रदान करके विकसित करेगा।

    -राज्य और एपीसीआरडीए को इस आदेश की तारीख से तीन महीने के भीतर अमरावती राजधानी क्षेत्र में विकसित पुनर्गठित भूखंडों को उन भूमि धारकों को सौंपने का निर्देश दिया जाता है, जिन्होंने राज्य द्वारा दिए गए वादे के अनुसार अपनी जमीन वापस कर दी थी।

    खंडपीठ ने राज्य की ओर से दायर याचिका और इससे जुड़ी याचिकाओं में नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक नोटिस देने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी, 2023 को करने का फैसला किया है।

    जैसा कि बेंच आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कुछ निर्देशों पर यह देखते हुए रोक लगाने के लिए इच्छुक थी कि यह अवास्तविक समय-सीमा निर्धारित करता है।

    सीनियर एडवोकेट श्री श्याम दीवान, किसानों के एक समाज की ओर से पेश हुए और उन्होंने अंतरिम रोक दिए जाने का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि विकल्प के रूप में यह संकेत दिया जा सकता है कि हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित समय-सीमा के आधार पर कोई अवमानना ​​कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी और इस बीच, राज्य सरकार को वास्तविक समय बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा प्रस्तुत करना होगा।

    हाईकोर्ट के आदेश में दी गई टाइम-लाइन की व्यवहार्यता पर सवाल उठाते हुए जस्टिस जोसेफ ने कहा -

    "निर्देश 5 पूरी तरह से अस्वीकार्य है, कि आप 6 महीने में कैपिटल सिटी का विकास करें ...कैपिटल सिटी से आपका क्या मतलब है?"

    जस्टिस नागरत्न ने कहा, , "हाईकोर्ट ने किस तरह के निर्देश पारित किए हैं। क्या हाईकोर्ट टाउन प्लानर और चीफ इंजीनियर बन गया है? न्यायालय को ऐसे मामलों में कोई विशेषज्ञता नहीं है, इसलिए हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।"

    केस टाइटलः आंध्र प्रदेश राज्य बनाम राजधानी रयथू परिरक्षण समिति एसएलपी (सी) नंबर 18823-18884/2022

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