क्या पीएमएलए मामले में किसी महिला को ईडी के कार्यालय में बुलाया जा सकता है? बीआरएस नेता के कविता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा

Avanish Pathak

27 March 2023 2:42 PM GMT

  • क्या पीएमएलए मामले में किसी महिला को ईडी के कार्यालय में बुलाया जा सकता है? बीआरएस नेता के कविता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा

    दिल्ली आबकारी नीति मामले में ईडी के समन के खिलाफ दायर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के कविता की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तीन सप्ताह के लिए स्‍थगित कर दिया।

    कविता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और ईडी की ओर से पेश एएसजी श्री एसवी राजू की दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस अजय रस्तोगी और ज‌स्टिस बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने कविता के मामले को नलिनी चिदंबरम के मामले के साथ जोड़ दिया, जिसमें इसी तरह का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं।

    नलिनी चिदंबरम के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने शारदा चिट फंड घोटाले के सिलसिले में ईडी को समन करने से रोकने के लिए अंतरिम आदेश पारित किया था। खंडपीठ मामले को तीन सप्ताह के बाद उठाएगी।

    सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचार के लिए रखे गए मुद्दे आज इस प्रकार पूछा- "क्या उनसे यहां या उनके निवास पर पूछताछ होनी है?"

    श्री राजू ने प्रस्तुत किया कि पूछताछ के स्थान के संबंध में सीआरपीसी की धारा 60 (गवाहों की उपस्थिति की आवश्यकता के लिए पुलिस अधिकारी की शक्ति) के तहत एक महिला गवाह के लिए उपलब्ध अधिकार धन शोधन निवारण अधिनियम पर लागू नहीं होते हैं।

    उन्होंने कहा कि विजय मदनलाल चौधरी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (पीएमएलए मामले) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला दिया गया है।

    श्री सिब्बल ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि पीएमएलए मामले में तीन-पीठ ने संबंधित मुद्दे पर फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा कि पीएमएलए में जांच के लिए समन जारी करने की कोई प्रक्रिया नहीं है।

    यह बताया गया कि पीएमएलए की धारा 65 सीआरपीसी के प्रावधानों पर निर्भरता की अनुमति देती है। जब संहिता के प्रावधान पीएमएलए के प्रावधानों से असंगत न हों।

    पीएमएलए धारा 50 के तहत समन के संबंध में अधिकारियों की शक्तियों का प्रावधान करता है, इसका उद्देश्य पूछताछ है न कि जांच। उन्होंने दलील दी कि मौजूदा मामले में कविता को आरोपी के तौर पर और जांच के मकसद से समन जारी किया गया है।

    कविता, जो वर्तमान में निज़ामाबाद स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से एक विधायक हैं, उनका दावा है कि उनका नाम एफआईआर में नहीं है और सम्मन सीआरपीसी की धारा 160 के तहत हैं, जो यह निर्धारित करती है कि किसी भी महिला को गवाह के रूप में किसी अन्य स्थान पर उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी, जिस स्थान पर वह रहती है।

    कविता को दिल्ली में ईडी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है, कथित तौर पर इस मामले में एक गिरफ्तार व्यक्ति से उनका सामना कराने के लिए ऐसा आदेश दिया गया है।

    वह प्रस्तुत करती हैं कि ईडी ने उन्हें उपस्थिति के लिए बहुत ही कम समय का नोटिस दिया और उनके आवास पर जांच करने या जांच की तारीख बढ़ाने के उनके अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया। नतीजतन, वह 11 मार्च को ईडी के सामने पेश हुई।

    इस पेशी के दौरान, उन्होंने ने ईडी द्वारा कई अवैधताओं के अधीन होने का आरोप लगाया। वह कहती हैं कि उन्हें अपना सेल फोन दिखाने के लिए मजबूर किया गया था, जबकि उन्हें धारा 50 (2), 50 (3) पीएमएलए के तहत बुलाया गया था, जिसमें मोबाइल पेश करने की आवश्यकता नहीं है। कहा गया कि एजेंसी ने उनके फोन को जब्त कर लिया था और सूर्यास्त के काफी समय बाद तब एजेंसी ने एक महिला से पूछताछ की थी। उन्होंने कहा कि किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति से कोई आमना-सामना नहीं हुआ।

    कविता ने आगे दावा किया कि ईडी ने जानबूझकर मामले में एक आरोपी के रूप में रिमांड आवेदन दाखिल करने की आड़ में उनके व्यक्तिगत संपर्क विवरण को लीक किया और उसके बाद, सीबीआई ने उन्हें नोटिस दिया और लगभग 7 घंटे तक उनसे पूछताछ की।

    उनकी दलील में कहा गया है कि ईडी अपनी कथित जांच के संबंध में अत्यधिक कठोर रणनीति और थर्ड डिग्री उपाय अपना रहा है।

    केस टाइटल: के कविता बनाम प्रवर्तन निदेशालय डब्ल्यूपी(सीआरएल) संख्या 103/2023

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