"जूनियर वकील को धमकाने की अनुम‌ति नहीं", द‌िल्‍ली हाईकोर्ट ने मुकदमे की लागत के एक लाख रुपए वकील को देने का आदेश दिया

LiveLaw News Network

6 Feb 2020 4:18 PM IST

  • जूनियर वकील को धमकाने की अनुम‌ति नहीं, द‌िल्‍ली हाईकोर्ट ने मुकदमे की लागत के एक लाख रुपए वकील को देने का आदेश दिया

    हाईकोर्ट के आदेशों का कथित रूप से पालन न करने के आरोप में एक जूनियर वकील के खिलाफ दायर अवमानना ​​याचिका को खारिज करते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने जूनियर वकीलों को दी गई धमकियों पर नाराज़गी व्यक्ति की है।

    अटॉर्नी की कुछ शक्तियों की वैधता का निर्धारण करने के एक मामले के संबंध में सितंबर और दिसंबर 2019 में हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों के अनुपालन की मांग करते हुए याच‌िकाकर्ता ने एक जूनियर वकील पर आवमानना का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने कहा है क‌ि

    हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्‍चित करने का दारोमदार उन्हीं पर था।

    ज‌स्टिस प्रतिभा एम सिंह की एकल पीठ ने नोट किया कि याचिकाकर्ता ने अनुपालन के लिए वकील को कई ई-मेल भी भेजे थे।

    इस पर उन्होंने कहा-

    "आदेशों के कथित गैर-अनुपालन का यदि कोई ईलाज है तो तो वो इस कोर्ट से संपर्क करना है, न कि विरोधी पक्ष के वकील को ई-मेल भेजना और उन पर आरोप लगाना है।"

    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अवमानना ​​के आवेदन में जैसी भाषा का इस्तेमाल किया है, वह अपमानजनक है।

    याचिकाकर्ता के अनुसार, जूनियर वकील ने "इन 5 ई-मेल में से किसी का भी जवाब देने की जहमत नहीं उठाई" और एक अवसर पर "आवेदक के लिए पेश होने वाले वकील को सूचित करने की धृष्टता की" कि मूल पॉवर ऑफ अटॉर्नी दाखिल करने का कोई इरादा नहीं है, क्योंकि अदालत से इस आशय का कोई आदेश नहीं है।"

    याचिकाकर्ता की भाषा पर कड़ा रुख अपनाते हुए जस्टिस सिंह ने कहा,

    "इस तरह के आरोप लगाना और ऐसी भाषा का उपयोग करना जैसे" वकील ने धृष्टता की" इस कोर्ट में पसंद नहीं की जाएगी। ऐसी भाषा कानूनी दलील की सीमाओं को पार करती है और विशेष रूप से उन वकीलों के खिलाफ है, जो अपनी पेशेवर क्षमता के साथ कार्य करते हैं।"

    मूल मामले के रिकॉर्डों के अध्ययन के बाद अदालत ने पाया कि अटॉर्नी की शक्तियों की वैधता और मान्यता का निर्णय मुख्य मामले में किया जाना था। अदालत ने कहा कि एक जूनियर वकील के खिलाफ आरोप लगाना, वह भी बिना ठोस मामले के, "पूरी तरह से अस्वीकार्य और ग़लत है।"

    कोर्ट ने कहा-

    "ऐसा करना जूनियर वकील को धमकी देने जैसा है, जो बिलकुल स्वीकार्य नहीं है। जूनियर वकील पर आरोप लगाना और उन्हें बार-बार ई-मेल भेजना, एक तरीके से, जूनियर वकील को धमकी देना है, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है।"

    कोर्ट ने मामले में जूनियर वकील को 1,00,000/- रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है।

    मामले का विवरण:

    केस का शीर्षक: M/S CNA एक्सपोर्ट्स (P) लिमिटेड बनाम मानसी शर्मा व अन्य।

    केस नं: Cont CAS(C) 66/2020

    कोरम: जस्टिस प्रतिभा एम सिंह

    पेशी: एडवोकेट नीलिमा त्रिपाठी (याचिकाकर्ता के लिए); एडवोकेट दीपक खोसला (प्रतिवादी के लिए)

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