IL&FS के पूर्व सीईओ और वाइस चेयरमैन की जमानत पर बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने रोक लगाई

LiveLaw News Network

5 April 2020 9:30 AM IST

  • IL&FS के पूर्व सीईओ और वाइस चेयरमैन की जमानत पर बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने रोक लगाई

    बॉम्बे हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) और फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IFIN) के पूर्व महान‌िदेशक व सीईओ रमेश बावा और पूर्व वाइस चेयरमैन हरि शंकरन की जमानत पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि वे दोनों ऐसे अपराध में आरोपी हैं, जिसमें 7 साल से अधिक की सजा हो सकती है, इसलिए उन्हें पैरोल पर रिहा नहीं किया जा सकता है।

    जस्टिस एके मेनन ने कहा कि यह मामला उन 'अत्यंत जरूरी मामले' की श्रेणी में नहीं आता है, लॉकडाउन की अवधि में जिनकी सुनवाई का ‌निर्देश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की ओर से विशेष बेंचों को दिया गया है।

    बावा और शंकरन कंपनी अधिनियम की धारा 447 के तहत आरोपी हैं। उल्लेखनीय है कि यह संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है, जिसमें अध‌िक से अध‌िक 10 साल तक या कम से कम 6 महीने तक का कारावास है।

    सुप्रीम कोर्ट के 23 मार्च के निर्देशों के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने 24 मार्च को महाराष्ट्र राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के प्रमुख की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार समिति का गठन था। 25 मार्च की बैठक में समिति ने कैदियों को रिहा करने के दिशा-निर्देशों को तैयार किया था। समिति ने 7 साल या उससे कम की सजा के अपराध के कैदियों (अंडर ट्रायल और और दोष‌ियों) को अस्थायी जमानत या पैरोल पर रिहा करने का निर्देश दिया था।

    COVID​​-19 की महामारी के मद्देनजर शुक्रवार को एक लॉकडाउन अदालत ने स्वास्थ्य कारणों के आधार पर दोनों आवेदकों का 30,000 रुपए के निजी मुचलके पर 75 दिन की अस्थायी जमानत दी ‌थी।

    जज पीआर सित्रे ने जमानत आवेदकों के मेडिकल रिकॉर्ड को देखने के बाद जमानत का आदेश दिया था। आदेश में उन्होंने कहा था कि जमानत की अवधि खत्म होने के बाद दोनों आरोपियों को समर्पण करना होगा और अपना पार्सपोर्ट जांच अधिकारी के पास जमा करना होगा।

    आवेदकों को अप्रैल, 2019 में IL&FS मामले में कथित अनियमितताओं के आरोप में सीरियस फ्रॉड इन्‍वेस्टिगेशंस ऑफिस (SFIO) ने गिरफ्तार किया था।

    बावा की उम्र 66 वर्ष है, जबकि शंकरन 58 वर्ष के हैं। दोनों ने विशेष अदालत के समक्ष पिछले सप्ताह कमजोर स्वास्‍थ्य और बुढ़ापे के आधार पर जमानत के ‌लिए अलग-अलग आवेदन दायर किए थे।

    जज सित्रे ने अपने आदेश में कहा था-

    "रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेज़ के आधार पर यह प्रतीत होता है कि आवेदक विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं और बुढ़े हैं। देश में COVID 19 की मौजूदा स्थितियों और मामले की जांच की अवस्‍था को देखते हुए हुए अस्थायी जमानत की अनुमति दी जाती है।"

    सीरियस फ्रॉड इन्‍वेस्टिगेशंस ऑफिस (एसएफआईओ) के अनुसार, आईएफआईएन ने बाहरी पार्टियों को ऋण दिए ‌थे, जिनमें कई डिफॉल्टर हो गए। IFIN मैनेजमेंट ने इन ऋणों को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के रूप में वर्गीकृत करने से रोकने के लिए धोखाधड़ी की और RBI के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया।

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