तेल कंपनियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बायोडीज़ल निर्माता
Shahadat
18 Sept 2025 8:08 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भारतीय बायोडीज़ल संघ द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। इस याचिका में सरकारी अधिसूचना को चुनौती दी गई, जिसमें बिना मिश्रित हाई-स्पीड डीज़ल की बिक्री पर उत्पाद शुल्क छूट को एक और वर्ष, 1 अप्रैल, 2025 से 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया गया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने एमसी मेहता बनाम भारत संघ मामले में याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस आवेदन पर नोटिस जारी किया।
केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा और कहा,
"हमारे पास एक कारण है, हम इसे हलफनामे में रखेंगे, माननीय।"
खंडपीठ ने केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए 3 सप्ताह का समय देने पर सहमति व्यक्त की।
सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह भी इस मामले में एमिक्स क्यूरी के रूप में उपस्थित हुईं।
आवेदन में वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग द्वारा जारी अधिसूचना संख्या 01/2025-केंद्रीय उत्पाद शुल्क (जी.एस.आर. 107ई) दिनांक 1 फरवरी, 2025 रद्द करने की मांग की गई। भारत के राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित यह अधिसूचना, 1 अप्रैल, 2025 से 31 मार्च, 2026 तक एक वर्ष के लिए बिना मिश्रित हाई-स्पीड डीज़ल की बिक्री पर उत्पाद शुल्क में छूट का विस्तार करती है।
याचिका में प्रतिवादी नंबर 5 से 7, तेल विपणन कंपनियों को अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 की अवधि के लिए आवेदक संघ के सदस्यों के पक्ष में जारी किए गए अपने-अपने आशय पत्रों और बायो-डीज़ल आपूर्ति के लिए प्रकाशित आवंटन कोटा का पालन करने और बायो-डीज़ल के आवंटित मासिक और त्रैमासिक कोटा की डिलीवरी स्वीकार करने के निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया।
2018 की राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि जैव-डीज़ल के उपयोग से पेट्रोलियम डीज़ल की तुलना में हाइड्रोकार्बन उत्सर्जन में 70% तक की कमी आती है और अपने पूरे जीवनकाल में CO₂ उत्सर्जन में लगभग 78% की कमी आती है।
इसमें कहा गया कि जैव-ईंधन के लाभों के कारण सरकार ने स्वयं प्रदूषण पर अंकुश लगाने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा मिशन के तहत जैव-डीज़ल उत्पादन और सम्मिश्रण को बढ़ावा दिया।
आवेदकों का कहना है कि जैव-ईंधन का उत्पादन शुरू करने के बावजूद, तेल विपणन कंपनियों ने आज तक आवेदकों से आपूर्ति लेना शुरू नहीं किया। ऐसा तब हुआ जब आवेदक विनिर्माण के लिए निविदाओं के सफल आवंटियों के रूप में उभरे।
2017 और 2022 में वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग ने अधिसूचना जारी की, जिसमें तेल विपणन कंपनियों पर जुर्माना लगाया गया यदि वे उपभोक्ताओं को बिना मिश्रित HSD की खुदरा बिक्री करती हैं। उक्त जुर्माने की अवधि हर साल बढ़ाई जा रही है, जिससे आवेदक व्यथित हैं।
याचिका के अनुसार, जुर्माने के प्रवर्तन का विस्तार मनमाने ढंग से आवेदकों की आजीविका को प्रभावित कर रहा है, इसका कारण यह है कि "वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग द्वारा बिना मिश्रित हाई स्पीड डीजल (HSD) की बिक्री पर जुर्माने के विस्तार के परिणामस्वरूप HSD में बायोडीजल के मिश्रण या नहीं के मामले में तेल विपणन कंपनियों को पूर्ण विवेकाधिकार प्रदान किया गया। तेल विपणन कंपनियों को दिया गया उपरोक्त विवेकाधिकार पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा तैयार जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 / जैव ईंधन पर संशोधित राष्ट्रीय नीति, 2022 की योजना के विपरीत है। जुर्माना लागू करने की तारीख का विस्तार 2030 तक हाई स्पीड डीजल (HSD) में 5% बायो-डीजल के मिश्रण के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित उद्देश्य और लक्ष्य के खिलाफ है।
याचिका निम्नलिखित प्रार्थनाएं की गईं:
(1) वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग, भारत सरकार द्वारा भारत के असाधारण राजपत्र में जारी/प्रकाशित अधिसूचना संख्या 01/2025-केंद्रीय उत्पाद शुल्क (जी.एस.आर.107ई) दिनांक 01.02.25 को रद्द किया जाए।
(2) वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को वित्त मंत्रालय की अधिसूचना नंबर 31/2022-केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिनांक 30.09.2022 का कड़ाई से अनुपालन करने का निर्देश दिया जाए, जिसके तहत HSD के साथ बायो-डीजल का मिश्रण न करने पर तेल विपणन कंपनियों पर अतिरिक्त शुल्क/टैरिफ लगाने की अधिसूचना जारी की गई।
(3) प्रतिवादी नंबर 5 से 7 तेल विपणन कंपनियों को अक्टूबर, 2024 से सितंबर, 2025 तक की अवधि के लिए बायो-डीजल की आपूर्ति हेतु आवेदक संघ के सदस्यों (अर्थात सफल आवंटियों) के पक्ष में जारी किए गए बायोडीजल के आवंटित कोटा की प्रकाशित सूची/आशय पत्र का सम्मान/पालन करने का निर्देश जारी किया जाए।
(4) प्रतिवादी नंबर 5 से 7 तेल विपणन कंपनियों को आवंटियों से बायोडीजल के त्रैमासिक/मासिक आवंटित कोटा की आपूर्ति स्वीकार/उठाने का निर्देश जारी किया जाए।
(5) मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के अनुसार उपयुक्त और उचित समझे जाने वाले कोई अन्य आदेश या आगे के आदेश पारित किया जाए।
यह आवेदन एडवोकेट संजीव कुमार के सहयोग से तैयार किया गया।
Case Details : M.C. MEHTA Versus UNION OF INDIA AND ORS | W.P.(C) No. 13029/1985

