बार काउंसिल ऑफ इंडिया को अनुशासनात्मक कार्यवाही में दस्तावेजों का अंग्रेजी अनुवाद मांगना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
14 Nov 2023 10:38 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में माना कि अनुशासनात्मक कार्यवाही के संबंध में बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा बनाए गए नियमों के तहत बार काउंसिल को उन दस्तावेजों का अंग्रेजी अनुवाद मंगाने की आवश्यकता है, जो अंग्रेजी में नहीं हैं।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने इस संदर्भ में कहा कि चूंकि अनुशासनात्मक समिति बार के सदस्य के कदाचार के मुद्दे से निपटती है, इसलिए कार्यवाही में पारदर्शिता होना आवश्यक है। अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बीसीआई द्वारा बनाए गए अनुशासनात्मक कार्यवाही के संबंध में नियमों के नियम 9 के उप-नियम 2 सपठित नियम 17 के उप-नियम 3 में दस्तावेजों के अंग्रेजी में अनुवाद की आवश्यकता होती है।
अदालत अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें गवाहों से क्रॉस एक्जामिनेशन सहित रिकॉर्ड पर कुछ दस्तावेज तमिल भाषा में है। अनुशासन समिति के सदस्य तमिल से परिचित नहीं है और अनुवाद के लिए Google ट्रांसलेट का उपयोग करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि नियमों के तहत ऐसे दस्तावेजों का अनुवाद प्राप्त करना अनुशासनात्मक समिति की जिम्मेदारी है, यहां तक कि पक्षकार भी दस्तावेजों का अनुवाद करवा सकते हैं, क्योंकि विभिन्न अनुवाद सॉफ्टवेयर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपकरण अब उपलब्ध हैं। कोर्ट ने कहा कि इससे अनुशासनात्मक कार्यवाही में देरी को कम करने में मदद मिल सकती है।
कोर्ट ने कहा,
“अनुशासनात्मक कार्यवाही हमेशा बार के सदस्य के खिलाफ होती है। बार का संबंधित सदस्य यह सुनिश्चित करने के लिए हमेशा उत्सुक रहेगा कि कार्यवाही जल्द से जल्द समाप्त हो जाए। इसलिए अनुशासन समिति के लिए यह हमेशा खुला रहेगा कि वह बार के सदस्यों को उन प्रासंगिक दस्तावेजों का अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत करने का सुझाव दे, जो अंग्रेजी में नहीं हैं। इससे अनुशासनात्मक कार्यवाही के निपटारे में होने वाली देरी से बचा जा सकेगा।''
सुप्रीम कोर्ट ने अनुशासनात्मक समिति को यथासंभव शीघ्रता से कानून के अनुसार शिकायत पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: जे. जॉनसन बनाम एस. सेल्वाराज, सिविल अपील नंबर 4855/2023
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