बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कानूनी ‌श‌िक्षण संस्‍थानों को राज्य सरकार और SDMA की एनओसी के साथ फिज़िकल एग्ज़ाम कराने की अनुमति दी

LiveLaw News Network

2 Nov 2020 3:30 AM GMT

  • बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कानूनी ‌श‌िक्षण संस्‍थानों को राज्य सरकार और SDMA की एनओसी के साथ फिज़िकल एग्ज़ाम कराने की अनुमति दी

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने विश्वविद्यालयों/ कानूनी शिक्षण केंद्रों को राज्य सरकार और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) की एनओसी के साथ फिज़िकल एग्ज़ाम आयोजित करने की अनुमति देने का फैसला किया है। हालांकि जब तक COVID-19 महामारी से छुटकारा नहीं पा लिया जाता है, तब तक ऐसे छात्रों ‌को परीक्षा में नहीं शामिल होने का विकल्प दिया जा सकता है, जो असमर्थ हैं और/ या परीक्षा में उपस्थित होने के लिए तैयार नहीं हैं। फिज़िकल एग्ज़ाम में उपस्थित हुए छात्र, यदि इस प्रकार की परीक्षा को क्लियर नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें यूनिवर्सिटी/ कानून श‌िक्षा के केंद्रों के भौतिक रूप से पुनः खुलने के बाद रि-एपियर परीक्षा में उपस्थित होने का मौका दिया जा सकता है।

    काउंसिल ने कहा कि यदि विश्वविद्यालय द्वारा विचार की गई फिज़िकल एग्ज़ाम 02.11.2020 से प्रभावी होती है और यदि उक्त परीक्षा उन सभी छात्रों के लिए, जो परीक्षा में उपस्थित नहीं हो सकते, बिना किसी दंडात्मक परिणाम के आयोजित की जाती है, तो कोई भी छात्र प्रभावित नहीं होगा, और उन्हें बार काउंसिल ऑफ इंडिया के 27.05.2020 और 09.06.20120 के परिपत्र / प्रेस रिलीज़ में ‌किए गए विचार के अनुसार कॉलेज / विश्वविद्यालय के भौतिक रूप से दोबारा खुलने के बाद परीक्षा में बैठने का अवसर मिलेगा, जिसे दिनांक 05.10.2020 के बीसीआई संकल्प द्वारा आगे स्पष्ट किया गया है।

    जनरल काउंसिल ने राज्य सरकार और राज्य आपदा प्रबंधन की एनओसी के साथ फिज़िकल एग्ज़ाम आयोजित करने के लिए विश्वविद्यालयों/कानूनी केंद्रों को एक विकल्प प्रदान करने के लिए बीसीआई के संकल्प/परिपत्र/ प्रेस विज्ञप्ति दिनांक 27.05.2020, 09.06.2020 और 05.10.2020 को संशोधित किया है। प्राधिकरण, ऐसे छात्रों को विकल्प देता है, जो COVID-19 महामारी की समाप्‍ति तक ऐसी फिज़िकल एग्ज़ाम में असमर्थ और / या अनिच्छुक हैं।

    परिषद ने यह भी संकल्प लिया है कि अंतिम वर्ष के कानून के छात्रों / कक्षाओं के साथ-साथ सभी मध्यस्‍थ कक्षाओं के लिए परीक्षा ऑनलाइन आयोजित की जा सकती है, यदि विश्वविद्यालय / लॉ कॉलेज इसे ऑनलाइन आयोजित करने में सक्षम हैं, और यदि छात्रों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। यह भी संकल्प किया जाता है कि यदि ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जाती है और कोई भी छात्र/छात्रा इसे देने में असमर्थ है/ या उसमें उपस्थित नहीं है, तो वह इस तरह की परीक्षा / विषय का पेपर उत्तीर्ण नहीं कर पा रहा है, ऐसे छात्र महामारी के बाद विश्वविद्यालय/ कॉलेज दोबारा खुलने के बाद एक महीने के भीतर जब भी पुनः परीक्षा देने के हकदार होंगे।

    परिषद ने दोहराया है कि महामारी से प्रभावित सभी छात्र जो अगले वर्ष / सेमेस्टर में पदोन्नत होते हैं, उनकी पदोन्नति प्रभावित हुए बिना, और जो उपस्थित होने में असमर्थ हैं / या वर्तमान में आयोजित ( महामारी के दौरान) ऑफ़लाइन/ ऑनलाइन परीक्षा और / या फिज़िकल एग्ज़ाम जो विश्वविद्यालयों / कॉलेजों के भौतिक रूप से दोबारा खुलेने के एक महीने के भीतर दोबारा आयोजित की जानी है, को क्लियर करने में असमर्थ हैं, उन्हें कानून की डिग्री प्रदान करने से पहले, अंतिम वर्ष की परीक्षा के तुरंत बाद, बिना किसी दंड या पूर्वाग्रह के, ऐसे पेपर को पास करने का अवसर प्रदान किया जाएगा।

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