बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका : सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के लिए अंतिम मौके के तौर पर दो सप्ताह और दिए
LiveLaw News Network
25 Jan 2021 8:13 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मौत की सजा के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर फैसला लेने के लिए केंद्र सरकार को दो सप्ताह का और समय दिया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह केंद्र के लिए इस मामले में फैसला करने का "अंतिम मौका" होगा।
पीठ बलवंत सिंह द्वारा दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि उसकी मौत की सजा को इस आधार पर रोका जाए क्योंकि उसकी दया याचिका भारत के राष्ट्रपति के समक्ष आठ साल से लंबित है।
8 जनवरी को हुई आखिरी सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र को 25 जनवरी तक निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
सोमवार को जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई , तो भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने निर्णय लेने के लिए एक और अवसर मांगा।
एसजी ने कहा,
"सरकार मामले की जांच कर रही है। वर्तमान परिस्थितियों में, तीन सप्ताह के बाद यह मामला लिया जाना चाहिए।"
पीठ इस अनुरोध से आगे के समय के लिए खुश नहीं थी।
सीजेआई एस ए बोबडे ने पूछा,
"तीन सप्ताह क्यों? श्री मेहता क्या हो रहा है?"
इस समय, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने स्थगन के लिए केंद्र के अनुरोध का विरोध किया।
रोहतगी ने कहा,
"मैं अनुरोध का विरोध करता हूं। आदमी 25 साल से जेल में है। उसकी दया याचिका 8 साल से अधिक समय से लंबित है।"
एसजी ने जवाब दिया,
"वह एक मुख्यमंत्री की हत्या के लिए जेल में है।"
सीजेआई ने दोहराया,
"3 सप्ताह क्यों? तीन सप्ताह अनुचित है। हमने आपको 26 जनवरी से पहले फैसला करने के लिए कहा था।"
एसजी ने कहा कि समय की आवश्यकता इसलिए है कि "किसी भी निर्णय के रूप में वर्तमान परिस्थितियों पर कुछ नतीजे होंगे," जो कि कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों से संबंधित प्रतीत होता है।
पीठ ने दो और सप्ताह का समय देने पर सहमति जताते हुए स्पष्ट किया कि यह अंतिम स्थगन होगा।
दरअसल पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए बलवंत सिंह राजोआना को 31 अगस्त को चंडीगढ़ में बम विस्फोट में मौत की सजा सुनाई गई थी।
राजोआना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इससे पहले कहा था कि याचिकाकर्ता लगभग 25 वर्षों से हिरासत में है और राष्ट्रपति के समक्ष उसकी दया याचिका आठ साल से अधिक समय तक अनिर्णीत रही है। इसके अलावा, राजोआना शत्रुघ्न चौहान और श्रीहरन मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार दया याचिका पर निर्णय लेने में देरी के कारण मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने के लिए हकदार है।
2014 में, सुप्रीम कोर्ट ने पेरारीवलन और दो अन्य दोषियों की मौत की सजा को कम कर दिया था , जिन्होंने राजीव गांधी हत्याकांड में बीस साल से अधिक की सजा काट ली थी।