आयुष डॉक्टरों और योग प्रशिक्षकों ने "आयुष-एनपीसीडीसीएस" एकीकृत परियोजना के पुनरुद्धार और विस्तार की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

LiveLaw News Network

21 Jun 2021 5:30 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट में आयुष डॉक्टरों और योग प्रशिक्षकों द्वारा एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में समान कार्यबल के साथ "आयुष-एनपीसीडीसीएस" एकीकृत परियोजना के पुनरुद्धार और विस्तार के लिए दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग की गई है।

    याचिका को 1 जुलाई, 2021 को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है।

    अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ अन्य समान आयुष डॉक्टरों और योग प्रशिक्षकों को बनाए रखने और "राष्ट्रीय आयुष मिशन" के माध्यम से एनपीसीडीसीएस के साथ आयुष के एकीकरण के पूरे अभ्यास को 29 अप्रैल, 2021 के पत्र के अनुसार शीघ्र पूरा करने की मांग की गई।

    उल्लेखनीय है कि आयुष मंत्रालय ने 29, अप्रैल 2021 को जारी अपने एक पत्र के माध्यम से आयुष को एनपीसीडीसीएस के साथ राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) के साथ जोड़ने का प्रस्ताव उन्हीं 6 जिलों में प्रस्तुत किया था, जहां उक्त कार्यक्रम प्रायोगिक तौर पर चल रहा है।

    याचिका में आगे आंध्र प्रदेश, गुजरात, बिहार, राजस्थान, यूपी और पश्चिम बंगाल राज्यों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे अपने संबंधित राज्य वार्षिक कार्य योजना के माध्यम से एनपीसीडीसीएस के साथ आयुष के एकीकरण के लिए अपने-अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करें।

    याचिका में तर्क दिया गया है कि प्रतिवादियों ने उक्त "आयुष-एनपीसीडीसीएस" परियोजना को 30 अप्रैल, 2021 से पूरी तरह से मनमाने और अनुचित तरीके से बंद कर दिया है। इस परियोजना द्वारा लाखों लोगों को दिए जा रहे लाभों की पूर्ण अवहेलना की गई है।

    याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं ने मार्च, 2020 से अप्रैल, 2021 की अवधि के दौरान COVID-19 योद्धाओं के रूप में अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन किया है। इसलिए COVID-19 महामारी को देखते हुए उन्हें बनाए रखा जाना चाहिए, और "आयुष-एनपीसीडीसीएस "एकीकृत पायलट परियोजना को जारी रखा जाना चाहिए।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि वे उक्त परियोजना के उनके समान रूप से स्थित सहयोगियों के साथ विधिवत रूप से योग्य और विधिवत प्रशिक्षित डॉक्टर और योग प्रशिक्षक हैं। इसलिए उनकी सेवाओं को समाप्त करने और बाद में एनएएम के तहत उक्त परियोजना को पुनर्जीवित करने के लिए नई भर्ती और प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी, जो एक वक़्त लेने वाला और ज्यादा खर्चीला काम होगा।

    याचिका में आगे कहा गया है कि उपरोक्त परियोजना को रोकने और सीधे तौर पर लगे याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को समाप्त करने का निर्णय डी.ओ. का उल्लंघन है। दिनांक 20 मार्च, 2020 को श्रम और रोजगार मंत्रालय ने सभी सार्वजनिक / निजी प्रतिष्ठानों के नियोक्ताओं को सलाह दी थी कि वे COVID-19 महामारी के बीच अपने कर्मचारियों को बर्खास्त न करें।

    डॉ. श्री हनुमंत राव नल्ला और अन्य बनाम भारत सरकार

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