बार और बेंच के बीच पारस्परिक सम्मान का रवैया न्यायपालिका के कामकाज के लिए आवश्यकः सीजेआई बोबडे ने अपने विदाई भाषण में कहा

LiveLaw News Network

24 April 2021 5:27 AM GMT

  • बार और बेंच के बीच पारस्परिक सम्मान का रवैया न्यायपालिका के कामकाज के लिए आवश्यकः सीजेआई बोबडे ने अपने विदाई भाषण में कहा

    शुक्रवार को रिटायर्ड हो गए सीजेआई, जस्टिस एसए बोबडे ने अपने विदाई भाषण में संचार की गुणवत्ता और बार और बेंच के संबंधों पर जोर दिया, ताकि न्यायपालिका अपने सबसे महत्वपूर्ण कार्य, यान‌ि नागरिकों के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा करे।

    एससीबीए की ओर से आयोजित आभासी विदाई समारोह में सीजे बोबडे ने कहा, "एक क्षेत्र, जिसने बहुत ध्यान खींचा है, वह है संचार और बार और बेंच के बीच संबंध। मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि दोनों पक्षों में गलत लोग हैं। हालांकि पारस्परिक सम्मान का रवैया न्यायपालिका के कामकाज के लिए आवश्यक है।"

    उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच, जिसमें सीजे बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस रवींद्र भट शामिल थे, के एक फैसले के कारण बेंच और बार के सदस्यों के बीच तनातनी की स्थिति बन गई।

    सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने COVID से संबंधित मुद्दों का स्वः संज्ञान लेने का फैसला किया था, जबकि उच्च न्यायालयों पहले से ही उन मामलों की सुनवाई कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की व्यापक आलोचना हुई थी। विवाद का एक और कारण इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की एमिकस क्यूरीए की नियुक्त करना था।

    समारोह में सीजे बोबडे ने कहा, "सुबह से, मैंने अवाक होने का एक नया कारण खोजा है - बहुत कुछ कहने के लिए है- जो क्या कहना है, यह न पता हो, के अनुभव के विपरीत है। मुझे पता चला कि कुछ चीजें हैं जो कोई कह सकता है। मैं उन्हें कहने का प्रयास करूंगा। "

    "सिस्टम, वातावरण आज ऐसा है कि किसी के बारे में अच्छे शब्द वास्तव में आपको आश्चर्यचकित करते हैं। यह अपने बारे में अच्छी बातें सुनने के लिए बहुत अच्छा है", उन्होंने एजी केके वेणुगोपाल, एससीबीए अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और सीजेआई-नामित ज‌स्ट‌िस एनवी रमना के भाषणों के जवाब में कहा।

    उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें ऐसे लोगों का समूह होना चाहिए जो एक-दूसरे की तारीफ करते हों और एक-दूसरे के दोषों को उलटपुलट कर देखते हों, लेकिन यह इस संचार और रिश्ते पर है जो न्यायपालिका के सबसे महत्वपूर्ण कार्य की पूर्ति पर निर्भर करता है- नागरिकों की स्वतंत्रता और संपत्ति और जीवन की रक्षा।"

    उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका मतलब यह नहीं कि यह "एक दूसरे की तारीफ करन वालों का समाज" हो, लेकिन बार और बेंच को "इस प्रकार काम करना चाहिए, जो सामंजस्यपूर्ण, पौष्टिक और सिस्टम के उद्देश्य को पूरा करता हो।"

    सीजे बोबडे ने कहा, "बॉम्बे (मातृ हाईकोर्ट), मध्य प्रदेश (चीफ जस्टिस के रूप में) और अब दिल्ली में सेवा करने के बाद, मैं कह सकता हूं कि यह बार और बेंच के बीच का रिश्ता है, जो भविष्य में न्यायपालिका के लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है।"

    वाल्टर स्कॉट का जिक्र करते हुए हुए, उन्होंने कहा कि "इतिहास या साहित्य के बिना एक वकील मैकेनिक भर है..अगर वह इन के बारे में ज्ञान रखता है, तो वह खुद को वास्तुकार कह सकता है"

    सीजे बोबडे ने यह भी बताया कि मीडिया और सोशल मीडिया किसी के कार्यों की व्याख्या कैसे करते हैं।

    उन्हानें कहा, "हमें संविधान के संरक्षकों ने एक अनूठा पदनाम दिया है- 'हम', मेरा मतलब है कि बार और बेंच दोनों। यह सिर्फ बेंच का कर्तव्य नहीं है, बल्कि बार का भी कर्तव्य है कि वह बेंच को सही निर्णय तक पहुंचने में मदद करे। यह तभी संभव है जब बार कानून के गतिशील नियम के प्रति प्रतिबद्ध हो। तभी बार न्यायपालिका की सहायता कर सकता है, विशेष रूप से समाज के हाशिए और कमजोर वर्गों के लिए.."

    सीजे बोबडे ने कहा, "जब मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली, तब मुझे इस कार्य की जटिलता की कल्पना नहीं थी - न्यायिक पक्ष, प्रशासनिक पक्ष, अदालतों का प्रबंधन, उच्च न्यायालयों की समस्याएं, बार की आवश्यकता आदि को समझने में समय लगता है। लेकिन आपके पास समझने और अपना सर्वश्रेष्ठ करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। उच्चतम न्यायालय के समक्ष विभिन्न प्रकार के मुकदमे का चकाचौंध हैं, तो दलीलें सबसे अच्छी हैं क्योंकि यह अंतिम अदालत है, वकील बहुत सक्षम हैं और मानक बहुत ही ऊंचा है।"

    उन्होंने कहा कि कैसे COVID जैसी महामारी ने न्यायपालिका और मुख्य रूप से, उन्हें सीजेआई के रूप में, संचार की नई चीजें सीखना जरूरी कर दिया। उन्होंने कैसे तय किया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आगे का रास्ता है- "अपने सहयोगियों, विशेष रूप से ई-समिति और रजिस्ट्री की मदद से हम चुनौती से निपटने में कामयाब रहे। "

    इस महीने की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कमेटी ने अपना आर्टिफिशल इंटेलिजेंस पोर्टल SUPACE (सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट एफिशिएंसी) लॉन्च किया।

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संबंध में, उन्होंने एक चेतावनी जारी करना चाहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य में विकसित होने के लिए तैयार है और इसे अनदेखा करना व्यर्थ है। "मुझे याद है कि जब कंप्यूटर शुरू किया गया था और लोगों ने ईमेल के माध्यम से संचार करना शुरू कर दिया था, तो कुछ लोग सोच रहे थे कि क्यों? लेकिन जब ऐसा कुछ पेश किया जाता है, तो यह जंगल की आग की तरह फैलने लगता है और इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि डाकघर अब बंद कर दिए गए हैं और सरकार सोच रही है कि उन इमारतों का क्या किया जाए? आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ही लीग में है। अगर हम इसे अनदेखा करते हैं तो हम खुद को बहुत नुकसान में पाएंगे।

    अंत में, बार के युवा सदस्यों को, जो महामारी से निराश है, उन्होंने आशा नहीं खोने और आगे बढ़ने का आग्रह किया।

    Next Story